Published: 27 सितंबर 2017

कंगन और उनकी चक्रीय सुरक्षा

Gold Bangles - Essential Indian Jewellery Item

भारतीय वधू को देखने पर उनके मेंहदी रचे हाथों, चमकीली लाल साड़ी, शरीर के ऊपरी अंगों पर लदे आभूषण, और निःसंदेह उनके स्वर्ण कंगनों पर आँखें बरबस चली जातीं है. और उनके जीवन में कंगनों का महत्व भी कितना अधिक होता है!

आजकल, स्वर्ण अधिकांशतः आर्थिक और सामाजिक हैसियत का प्रमाण माना जाता है. इसके पीछे अवधारणा यह है कि जिसके पास जितना अधिक स्वर्ण होता है, उसकी हैसियत उतनी ज्यादा मानी जाती हैं. किन्तु, प्राचीन भारत का जब स्वर्ण से परिचय हुआ था, तब इसका उद्देश्य धन का प्रदर्शन नहीं, बल्कि स्वास्थ्य से जुड़ा था. कहा जाता था कि, अगर किसी के संक्रमित या घाव वाले अंग पर शुद्ध स्वर्ण रख दिया जाए तो यह पीला धातु घाव को ठीक कर देता और संक्रमण नियंत्रित हो जाता था. उन दिनों, स्वर्ण को ऊर्जा का भण्डार माना जाता था, जिससे आरोग्यकारी उष्मा और सौम्य तरंग निकलती थी.

ऐसी मान्यता है कि प्राचीन भारत में पुरुष खेतों और जंगलों में काम करते थे, जिसमे भरपूर शारीरिक परिश्रम लगता था. वहीं, स्त्रियाँ घरेलू काम-काज किया करती थीं. जैसा कि घर के काम-काज में थी। इसमें काफी परिश्रम और समय लगता था, पुरुष की काम और प्रकृति के साथ उसकी निकटता अधिक कष्टकर और श्रमसाध्य मानी जाती थी. इससे स्त्रियों में परेशानियों के कारण रक्तचाप बढ़ जाता था. इस प्रकार, एक तरह के मनोभाव को नियंत्रित करने के लिए स्त्रियों को स्वर्ण के कंगन और स्वर्ण से बनी कमरघनी, पायल और कान की बालियाँ पहनने को कहा जाता था.

सामान्यतः, सभी प्रकार की व्याधियों के लिए कलाई पर नाड़ी की जांच की जाती है, और कंगनों के बीच लगातार घर्षण से रक्त संचार की गति बढ़ जाती है. रक्त संचार में इस वृद्धि से ह्रदय, शरीर की मांसपेशियों और धमनियों को लाभ होने के साथ-साथ अंगों के छोर तक ऑक्सीजन से भरपूर रक्त पहुँचने में सुधार होता है.

प्राचीन मान्यता के अनुसार, कंगनों और कलाई के परस्पर घर्षण से एक शान्तिदायक आभा उत्पन्न होती है, जो त्वचा में संचारित होती है और पुनः धारण करने वाले के शरीर में – कंगनों के गोल आकार होने के कारण - लौट आती है. कंगनों की गोल बनावट के कारण ऊर्जा बाहर नहीं निकल पाती है, बल्कि वह स्त्री को वापस मिल जाती है.

इसलिए, भारतीय वधुओं को हमेशा कई-कई कंगन पहने देखकर कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए. दिन भर का काम-काज निपटाने के लिए उन्हें भरपूर ऊर्जा और शक्ति की आवश्यकता होती है.