Published: 11 सितंबर 2017

सुनहरे बालों की श्रृंगार सामग्रियाँ

भारतीय स्त्रियाँ अपने लंबे और चमकीले बालों (केश) के लिए जानी जाती हैं। कहा जाता है कि इसमे पीछे आयुर्वेद की भूमिका होती है। प्राचीन काल से भारत में स्त्रियाँ अपनी लटों को संवारने के लिए सोना, फूलों और पत्तियों से बने भाँति-भाँति के साधनों का प्रयोग करती रहीं हैं। केश श्रृंगार सामग्रियाँ, चाहे वे आधुनिक स्वरूप के हों या परंपरागत हों, प्रत्येक भारतीय स्त्री की चाहत है और बाजार में आज भी उनका वर्चस्व बना हुआ है।

विभिन्न प्रकार की केश श्रृंगार सामग्रियाँ बालों की अलग-अलग तरह की सजावट करने में काम आती है और विवाह, त्योहार एवं अन्य समारोहों के विशेष अवसरों पर प्रायः इनका प्रयोग किया जाता है।

यहाँ केश की स्वर्ण श्रृंगार सामग्रियों के लिए कुछ सुझाव दिए जा रहे हैं:

  1. माथा पट्टी - दक्षिण भारत में थलैसामान के नाम से प्रचलित माथा पट्टी सामान्यतः सोने से बना एक परंपरागत केशबंध है। इसे माथे पर बालों की विभाजक रेखा के मध्य में पहना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इससे मानव शरीर के सिर में अवस्थित शीर्षस्थ चक्र, सिरश्चक्र से ऊर्जा की प्राप्ति होती है। यह वधुओं के आभूषण मंजूषा का महत्वपूर्ण आभूषण है जिसमें वैभवपूर्ण भव्य छवि के साथ परंपरागत छाप परिलक्षित होती है।
  2. मंगटिक्का - यह एक गुंथी हुई सिकड़ी है जिसके एक छोर पर एक अंकुश और दूसरी छोर पर रत्नों एवं अन्य मूल्यवान धातु का झुमका लगा होता है। मंगटिक्का (मांग टीका) माथे के मध्य में लगाया जाता है जहाँ अज्ञा चक्र यानी ऊर्जा का केन्द्र स्थित है।
    राजस्थान में मंगटिक्का का एक रूप ‘बोर्ला’ है जिसे विवाहित स्त्रियाँ धारण करती हैं। मंगटिक्का के समान ही बोर्ला एक सिकड़ी होती है जिसमें सामान्य चपटे झुमके के बदले एक गोल (शंक्वाकार) झुमका लगा होता है।
  3. झूमर - यह पंखे के आकार का एक केशसज्जा सामग्री है जो झाड़-फानूस जैसा दिखता है और माथे की बायीं ओर लगाया जाता है। यह सामग्री सामान्यतः सोने से बना होता है और अक्सर सिर के मध्य में मंगटिक्का के साथ पहना जाता है।
    झूमर को पसांद भी कहा जाता है और शरारा तथा लहँगों के लिए एक उपयुक्त साधन माना जाता है।
  4. चोटी - ये चोटी की वेणी है जिससे ऊपर से नीचे तक गुंथे हुए बाल (चोटी) ढँके रहते हैं। चोटी को सोना और दूसरे रत्नों से सजाया जाता है और दक्षिण भारतीय वधुओं के बीच यह लोकप्रिय है।
    चोटी के लिए एक और सामग्री बिल्लै है जिसमें ऊपर से नीचे तक चोटी की मोटाई के अनुसार नौ गोलाकार चिमटियाँ (क्लिप) लगे होते हैं।
  5. जूड़ा पिन और क्लिप - इस सामग्री से बालों के जूड़े को सोने से बने वृत्ताकार पिन या जंजीरों को जूड़े में फँसाकर सजाया जाता है। जूड़ा क्लिप अर्द्धचंद्राकार होते हैं और माथे के दोनों ओर लगाए जाते है।
  6. रकोड़ी - यह बालों के जूड़े के लिए एक और सामग्री है जो वृत्ताकार पिन के रूप में होता है और जूड़े के मध्य में लगाया जाता है। इसे दक्षिण भारतीय वैवाहिक समारोहों में प्रमुखता से धारण किया जाता है।
  7. परांदा - भारत के उत्तरी भाग में आम तौर पर प्रयुक्त केश श्रृंगार सामग्री, परांदा चोटी के साथ बंधा काले एवं अन्य सजावटी धागाओं का गुच्छा है। चोटी के अंतिम छोर पर सुनहरे या अन्य सजावटी धागे झूलते रहते हैं। पंजाबी विवाहों के अवसर पर अक्सर इसका प्रयोग किया जाता है।

विशेष अवसरों के लिए एक अतिरिक्त सौंदर्य परिधान के रूप में प्रत्येक आभूषण मंजूषा में सोने से बनी एक केश श्रृंगार सामग्री अवश्‍य होनी चाहिए।