Gold Sovereign Bonds

सॉवरेन गोल्ड बांड

भारत सरकार ने घोषणा की है कि वे जल्द ही स्वर्ण गोल्ड बांड योजना शुरू कर देंगे।

स्कीम कैसे काम करेगी?
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) गोल्ड बांड जारी करेगा। चूंकि ये भारत सरकार के बांड हैं, इसलिए इन पर सॉवरेन गारंटी है, यानी सबसे अधिक सुरक्षित हैं। बांड ग्राम गोल्ड में नामित किए जाएंगे। सॉवरेन गोल्ड बांड स्कीम को साल 2015-16 और उसके बाद की अवधि के लिए सरकार के बाजार उधारी प्रोग्राम के अनुसार जारी किया जाएगा। रिजर्व बैंक वित्त मंत्रालय के साथ राय-मशविरा करके जारी की जाने वाली वास्तविक राशि का निर्धारण करेगा। गोल्ड की कीमतों में आने वाले उतार-चढ़ाव से जुड़े खतरे को निर्माणाधीन गोल्ड रिजर्व फंड वहन करेगा। सरकार को होने वाला लाभ उधार की लागत में कमी के रूप में होगा, जिसे गोल्ड रिजर्व फंड में ट्रांसफर कर दिया जाएगा।

लागत: फिजिकल गोल्ड को खरीदने का शुरुआती खर्च 25 प्रतिशत तक हो सकता है। सॉवरेन गोल्ड बांड के मामले में कोई भी एंट्री चार्ज नहीं होगा और यहां तक कि फंड मैनेजमेंट खर्च भी नहीं होगा। जारी करने वाली एजेंसी की ओर से जिस वितरण खर्च और इंटरमीडिएट चैनल को सेल्स कमीशन का भुगतान किया जाएगा उसकी भी बाद में सरकार की ओर से भरपाई कर दी जाएगी।

ब्याज दर: सॉवरेन गोल्ड बांड के लिए सरकार जिस ब्याज दर के साथ बांड जारी करेगी और उसका निर्धारण खुद सरकार ही करेगी। ब्याज दर का निर्धारण करते समय घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार की स्थितियों को ध्यान में रखा जाएगा और यहां एक ट्रांच (किस्त) दूसरे से अलग हो सकता है। निवेश करते समय गोल्ड की जो कीमत होगी, ब्याज दर का निर्धारण उसके अनुसार होगा। ब्याज की दर फैसले के मुताबिक या तो फिक्स्ड होगी या फ्लोटिंग। गोल्ड की कीमत पहले से तय रेफरेन्स रेट से निकाली जा सकती है और रुपया समतुल्य राशि (रूपी इक्वीवैलेंट अमाउंट) को जारी किए जाने और भुगतान होने पर आरबीआई रेफरेन्स रेट के अनुसार कन्वर्ट किया जा सकता है। इस रेट को जारी करने, रिडेम्पशन और एलटीवी उद्देश्य और कर्ज अदायगी के लिए उपयोग किया जाएगा।

सीमा: सॉवरेन गोल्ड बांड 5, 10, 50, 100 ग्राम गोल्ड या दूसरे रूप में जारी किए जाएंगे, और इसकी सीमा प्रति वर्ष प्रति व्यक्ति 500 ग्राम होगी। सॉवरेन गोल्ड बांड को रुपये के रूप में भुगतान किए जाने पर जारी किया जाएगा और इसे ग्राम गोल्ड में नामित किया जाएगा। बांड को भारत के निवासियों या संस्थाओं द्वारा खरीदा सकता है और इसकी अधिकतम सीमा 500 ग्राम है।

निवेश कैसे करें?
बांड जारी करने वाली एजेसियों में नामित बैंक, एनबीएफसी, पोस्ट ऑफिस, नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (एनएससी) एजेंट और अन्य, जिन्हें भी बैंक निर्दिष्ट करेगा, शामिल किए गए हैं। ये निवेश जुटाने के लिए अधिकृत होंगे और ये सरकार की ओर से बांड का भुगतान (रिडीम) भी कर सकेंगे।

क्या यह मेरे लिए है?

  • सॉवरेन गोल्ड बांड डीमैट और पेपर दोनों रूपों में उपलब्ध होंगे।
  • बांड की न्यूनतम अवधि 5 से 7 साल होगी जहां यूनिट को कभी भी लिक्विडेटेड किया जा सकेगा।
  • इन पर निवेश की गई पूंजी और बांड के लिए घोषित ब्याज दर और जमा (अक्रूड) दोनों पर सॉवरेन गारंटी होगी।
  • हालांकि बांड को कर्ज के लिए जमानत के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
  • इसके अलावा, यदि किसी निवेशक की इच्छा जल्दी बाहर निकल जाने की है तो बदले में बांड को एक्सचेंजों में बेचने की अनुमति होगी।
  • सॉवरेन गोल्ड बांड में कैपिटल गेन्स टैक्स ट्रीटमेंट वही होगा जो फिजिकल गोल्ड के मामले में एक ‘व्यक्तिगत’ निवेशक के लिए होता है। राजस्व विभाग का कहना है कि अगर परिपक्व होने के पहले ही बांड को ट्रांसफर कर दिया जाता है तो वे इनडेक्सेशन बेनिफिट पर विचार करेंगे और भुगतान करते समय कैपिटल गेन टैक्स एक्जेम्पसन को पूरा करेंगे।

मैं इसे कैसे रिडीम कर सकता हूं?
मेच्योर होने पर इसका रिडेम्पशन केवल रुपयों में होगा। बांड पर ब्याज दर की गणना निवेश करते समय गोल्ड की वैल्यू के हिसाब से की जाएगी। निवेश की मूल राशि, जिसे ग्राम गोल्ड में निर्दिष्ट किया जाएगा, का भुगतान (रिडीम) उस समय की गोल्ड कीमत के हिसाब से किया जाएगा। अगर गोल्ड की कीमत निवेश करते समय जो कीमत थी, उससे कम हो गई होती है, या किसी दूसरे कारण से कम होती है, तो डिपॉजिटर को बांड को तीन या इससे अधिक साल के लिए बांड का समय बढ़ाने का विकल्प दिया जाएगा। याद रखें, कीमत के बढ़ने से फायदा और गिरने से हानि से जुड़े खतरे निवेशक को उठाने होंगे और इसलिए निवेशक को गोल्ड की कीमतों में उतार-चढ़ाव की जानकारी रखनी होगी।