Investing In Gold Coins

गोल्ड क्वाइन

भारत में ‘गोल्ड क्वाइन’ शब्द आम तौर पर गोल पदक या मैडल के लिए इस्तेमाल होता है जिसे सेविंग या गिफ्टिंग के लिये खरीदा जाता है।

यह कैसे काम करता है?
गोल्ड क्वाइन खरीदने से पहले कुछ महत्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखना ज़रुरी होता है:

  • प्योरिटी:
    वैसे आर्गनाइज़्ड रेफ़ाइनर्स गोल्ड क्वाइंस में 995 से 999 तक की प्योरिटी रखते हैं पर ज़्यादातर बेचे जाने वाले क्वाइंस 916.6 (22 कैरेट) के होते हैं। इसकी प्योरिटी को रिटेलर द्वारा या कॉर्पोरेट कंपनी द्वारा भी बताया जाता है जो क्वाइंस का ऑर्डर देते हैं (जैसे 23 कैरेट, 21 कैरेट, 20 कैरेट और 18 कैरेट)। इन्वेस्टमेन्ट के लिये खरीदे जाने वाले अधिकांश क्वाइंस 22 कैरेट या 24 कैरेट के होते हैं।
  • वज़न:
    ज़्यादातर आर्गनाइज़्ड रेफ़ाइनर्स 0.5 ग्राम से 100 ग्राम के बीच के गोल्ड क्वाइंस बनाते हैं। सबसे पॉप्युलर वज़न है 10 ग्राम और उससे कम। कुछ मैन्युफैक्चरर्स छोटे क्वाइंस भी बनाते हैं जो कि 1 ग्राम, 2 ग्राम, 4 ग्राम और 8 ग्राम के बीच होते हैं (इन्हे गिन्नी भी कहा जाता है)।
  • डिज़ाईन:
    क्वाइंस अनेक डिजाईन्स के मिलते हैं। कॉर्पोरेट कंपनियां और ज्वेलरी रिटेलर्स ज़्यादातर क्वाइन के एक ओर अपना लोगो बनवाते हैं और दूसरी ओर स्टैण्डर्ड या टेलर मेड डिज़ाईन होती है। कई क्वाइंस में हिन्दू देवी-देवताओं का चित्र या धार्मिक चिन्ह की डिज़ाइन होती है। कुछ क्वाइंस में क्वीन विक्टोरिया, एडवर्ड VII या जॉर्ज V के चित्र भी होते हैं। कुछ अन्य देश के क्वाइंस जैसे पान्डा क्वाइन (चीन), मेपल लीफ (कैनेडा) और कंगारु (ऑस्ट्रेलिया) भी होते हैं। भारत सरकार ने भी भारतीय गोल्ड क्वाइन बनवाने की घोषणा की है जिसे जल्द ही मार्किट में लाया जायेगा। कुछ क्वाइंस मैन्युफैक्चरर के या रिटेलर युनिट के नाम के साथ भी बेचे जाते हैं।
  • हॉलमार्किंग:
    जब आप कोई क्वाइन खरीदते हैं तो हमेशा ध्यान रखिये कि वह हॉलमार्क्ड हो। हॉलमार्किंग से गोल्ड क्वाइन की प्योरिटी सुनिश्चित होती है जिससे कि आपको वही चीज़ मिलती है जिसकी आप कीमत दे रहे हैं और बेचने पर भी उतनी कीमत मिलती है जितना उसका असली दाम है।
  • कहां से खरीदे:
    क्वाइंस मुख्य रुप से ज्वलरी आउटलेट्स में मिलते हैं। वे ज्वेलरी के एक्स्चेन्ज में भी क्वाइंस बेचते हैं और वापस भी खरीद लेते हैं जब भी आप चाहें। गोल्ड क्वाइंस ज्वेलर्स की वेबसाईट्स द्वारा और ई कॉमर्स साईट्स पर भी बेचे जाते हैं। आप कुछ चुनिंदा बैंकों से भी गोल्ड क्वाइंस खरीद सकते हैं।
  • प्राईज:
    गोल्ड क्वाइंस को सामान्य रुप से मार्जिन के साथ बेचा जाता है जो कि मुख्य रुप से वह लागत होती है जो मेकिंग संबंधी होती है और वह क्वाइन की कीमत से ज्यादा होती है।

क्या यह मेरे लिये है?
आप क्वाइंस को तीन मुख्य प्रयोजनों के लिये खरीद सकते हैं: फैमेली में गिफ्ट के लिये, कॉर्पोरेट गिफ्ट के लिये या पर्सनल सेविंग्स के लिये। इसकी डिमांड सीज़नल होती है और फेस्टिवल व वेडिंग सीज़न में बढ जाती है। रिटेल स्टोर्स में दिवाली और वेडिंग सीज़न याने अक्टूबर और नवंबर, और अक्षय तॄतिया याने एप्रिल और मे के बीच इनका स्टॉक भर लिया जाता है। व्यक्तिगत इन्वेस्टर्स सेविंग्स के लिये भी क्वाइंस को खरीदते हैं। कॉर्पोरेट कंपनियों द्वारा भी इसे भारी मात्र में गिफ्टिंग के लिये खरीदा जाता है।

यहां कुछ कारण दिये हैं कि आपको गोल्ड क्वाइन क्यों खरीदना चाहिये:

  • मेकिंग चार्ज नहीं के बराबर
  • छोटे टिकिट प्राईज़ का अर्थ है ज्यादा रेग्युलर सेविंग जो कि एक बडी पर्चेस के लिये इंतजार करने से बेहतर है।
  • एक शानदार तरीका अपनी सेविंग्स को लम्बे समय तक सुनिश्चित करने का, जिसे भविष्य में आप कैश या ज्वेलरी एक्सचेन्ज से ज्वेलरी में बदल सकते हैं।

इसे कैसे रिडीम किया जाए?
आज कल गोल्ड क्वाइंस को किसी भी ज्वेलरी रिटेलर से ज्वेलरी या कैश के बदले बेचा जा सकता है।