Published: 04 सितंबर 2017

पुनर्चक्रण के कारण हमारे पास स्वर्ण की कभी कमी नहीं होगी

ऐसा लग सकता है कि स्वर्ण हमेशा से विद्यमान रहा होगा. आखिर, एजटेक और मिस्र जैसी प्राचीन सभ्यताओं में स्वर्ण का व्यापक प्रयोग और उत्पादन हुआ करता था. अनेक अनुसंधानकर्ताओं द्वारा जहां यह माना जाता है कि प्रथम स्वर्ण मुद्रा ईसा पूर्व 550 में बनी थी, वहीं ईसा पूर्व 1600 की अन्य स्वर्ण शिल्प के अभिलेख भी उपलब्ध हैं. लेकिन प्रश्न उठता है कि क्या कभी यह मूल्यवान धातु समाप्त हो जाएगा ?

स्वर्ण एक वस्तु है. प्रत्येक वस्तु के सामान हमारी पृथ्वी पर इसकी भी सीमित उपलब्धता है. तथापि, इस प्रश्न का हल जानने के लिए कि स्वर्ण का उत्खनन कब तक संभव होगा, हमें सबसे पहले स्वर्ण उत्खनन से जुड़े आर्थिक एवं पर्यावरणीय सीमाओं को समझना होगा. आप जानते हैं कि स्वर्ण पृथ्वी के सबसे दुर्लभ तत्वों में से एक है. पृथ्वी के बाह्य पटल में इसका अनुपात महज 0.3 प्रतिशत है. इसे इस रूप में समझें कि अगर आपके पास एक जैसे 10 बिलियन कंचे हैं, तो उनमे केवल 3 कंचे स्वर्ण के होंगे.

स्वर्ण के उत्खनन में काफी खर्च और परिश्रम लगते हैं. इसलिए, लाभ के लिए विभिन्न कंपनियों और संगठनों को स्वर्ण के सर्वाधिक संकेन्द्रण वाले स्थानों की खोज करनी चाहिए. सुनिश्चित लाभ के लिए विश्व के किस हिस्से में स्वर्ण उत्खनन किया जा सकता है, यह श्रमिक लागत और अन्य पर्यावरणीय विनियमों के आधार पर भी तय होता है.

अतीत में इस तरह की समस्याएं नहीं थीं, क्योंकि तब पहले के खदानों के पूर्ण दोहन के पहले ही स्वर्ण के उच्च संकेन्द्रण वाले स्थानों का तेजी से पता चल जाता था. लेकिन यह स्थिति अब बदल रही है. विगत 500 वर्षों में हमारी पृथ्वी की सतह से करीब 1,73,000 मीट्रिक टन स्वर्ण निकाला जा चुका है. इसका लगभग आधा तो केवल गत 50 वर्षों में निकाला गया है. स्वर्ण उत्पादन में इस अंधाधुंध वृद्धि के फलस्वरूप बाह्य परत में आसानी से उपलब्ध अधिकाँश स्वर्ण समाप्तप्राय हो चुका है. अब स्वर्ण के उच्च संकेन्द्रण वाले स्थानों की खोज और उत्खनन को आर्थिक रूप से व्यावहारिक बनाने में अधिक परिश्रम और संसाधन लगाने पड़ रहे हैं. इसका यह अर्थ नहीं है कि हमारा स्वर्ण भण्डार समाप्त हो रहा है, बल्कि सीधी-सी बात यह है कि अब उत्खनन पहले से अधिक खर्चीला और श्रमसाध्य हो गया है.

गोल्डमन सैश के अनुसार, अभी हमें केवल चिन्हित स्वर्ण खदानों की जानकारी है जिनके सहारे हम 18 वर्षों तक (2035 तक) स्वर्ण की वर्तमान उत्पादन दर कायम रख सकते हैं. यह अवधि लम्बी लग सकती है, लेकिन मुश्किल यह है कि स्वर्ण भण्डार का पता लगने और वहाँ से उत्खनन आरम्भ करने के बीच भी काफी लंबा समय लगता है. इसका मुख्य कारण यह है कि उत्खनन की स्वीकृति मिलने के पहले आर्थिक-पर्यावरणीय पहलुओं से सबंधित व्यवहार्यता मूल्यांकन, कानूनी अनुपालन, लाइसेंस आदि जैसी अनेक प्रक्रियाएं पूरी करनी होती है.

इस प्रक्रिया में अक्सर 20 वर्षों से भी अधिक समय लग जाता है. इसलिए, हम आश्वस्त हो सकते हैं कि हमारे जीवन काल में स्वर्ण कहीं न कहीं उपलब्ध अवश्य रहेगा. तब तक अपनी धरोहर संभाल कर रखें!