Published: 31 जुलाई 2017

अब आपके लिये गोल्ड मोनेटीसेशन स्कीम और भी सरल

Gold Monetization scheme details



गोल्ड किसी भी तरीके से रखा जा सकता है – ज्वेलरी, बार्स या कॉईन्स को 1 से 15 वर्ष तक की अवधि के लिये जमा रखा जा सकता है।

गोल्ड को मैल्ट किया जाता है, इसकी प्योरिटी की जांच की जाती है और इसके बाद प्योरिटी सर्टिफिकेट इश्यू किया जाता है।

इससे पहले इस सारी प्रक्रिया में प्योरिटी सर्टिफिकेट देने के लिये 30 दिन का समय लगता था। इस प्रक्रिया को सरल बनाने के लिये सरकार द्वारा 331 हॉलमार्किंग सेन्टर्स शुरु किये गए हैं जो “कलेक्शन और प्योरिटी टेस्टिंग सेन्टर्स” के रुप में काम करते हैं।

गोल्ड डिपॉजिट शॉर्ट टर्म (1-3 वर्ष), मीडियम टर्म (5-7 वर्ष) या लॉन्ग टर्म (12-15 वर्ष) के लिये किया जा सकता है और आपको आपके डिपॉजिट्स पर इन्ट्रेस्ट मिलता है।

आप मैच्योरिटी से पहले इस डिपॉजिट को ब्रेक कर सकते हैं लेकिन रेग्युलर फिक्स्ड डिपॉजिट के समान इसमें भी आपको पैनल्टी देनी होती है।

शॉर्ट टर्म डिपॉजिट्स को कैश में भी रिडीम किया जा सकता है (या फिर समकक्ष रुपयो में जो कि जमा किये गए गोल्ड के वजन के बराबर होता है और इसमें रिडम्पशन के समय के मूल्य को लिया जाता है) या फिर गोल्ड में (यह उतने ही वजन का गोल्ड होता है जिसे डिपॉजिट किया जाता है)। आपको जमा करते समय यह तय करना होता है कि आपको मैच्योरिटी पर गोल्ड पे आउट्स चाहिये या कैश।

मीडियम टर्म और लॉन्ग टर्म डिपॉजिट्स को केवल कैश में ही रिडीम किया जा सकता है (यह उस गोल्ड की वैल्यू होती है जिसे डिपॉजिट करते समय जमा किया गया था)।

शॉर्ट टर्म डिपॉजिट्स पर इन्ट्रेस्ट को बैंकों द्वारा अपने तरीके से तय किया जाएगा।

मीडियम टर्म और लॉन्ग टर्म डिपॉजिट्स को सरकार द्वारा रिजर्व बैंक ऑफ इन्डिया के साथ चर्चा कर तय किया जाता है।

स्कीम को सरल करने के कारण 2015 में काफी बडा फर्क पडेगा

यह सरकार की छठी गोल्ड मोनेटिसेशन स्कीम है, पहली स्कीम वर्ष 1962 में शुरु की गई थी जब मोरारजी देसाई फायनान्स मिनिस्टर थे। नई स्कीम में कई सारे फर्क मौजूद है।

मिनिमम गोल्ड डिपॉजिट 30 ग्राम है। यह इससे पहले 500 ग्राम था। इसके कारण यह स्कीम उन व्यक्तियों के लिये भी शुरु हो सकी है जो इसे पूरा कर सकते है, जबकि इससे पहले यह बडे डिपॉजिट कर सकने वाले व्यक्तियों के लिये ही लागू थी।

अब इसमें 1-15 वर्ष के बीच में अवधि को चुनने की भी सुविधा है।

इसके अलावा, जैसा कि पहले भी बताया गया है, सरकार द्वारा हॉलमार्किंग सेन्टर्स को भी प्योरिटी सर्टिफिकेट्स इश्यू करने के लिये इसमें शामिल किया गया है।

इसके साथ ही अब डिपॉजिट पर इन्ट्रेस्ट रेट भी अधिक हैं।