Published: 01 सितंबर 2017

धन के देव - कुबेर को जानें

Kubera

भारत में कुबेर धन के देवता हैं। हम किसी धनवान व्यक्ति को ‘कुबेर को खुश करने वाला’ कहते हैं और पौराणिक कथाओं में स्वर्ण भंडार और विशाल धन-संपदा को सामान्यतया ‘कुबेर का खजाना’ या ‘कुबेर का धन’ कहा जाता है। किन्तु, कुबेर कौन था और वह कैसे धन का देव बन गया?

एक यक्ष (असुर), कुबेर एक नृप था जिसने दक्षिणी सागर के मध्य में लंका की स्वर्णनगरी का निर्माण किया था। कहा जाता है कि वह एक महल के सदृश पुष्पक विमान से भ्रमण किया करता था। लंका के गौरवशाली समय का अंत आ गया जब कुबेर के सौतेले भ्राता रावण ने ब्रह्मा के वरदान से उसे निष्कासित कर दिया। व्यथित होकर कुबेर ने लंका त्याग दिया और कैलाश के निकट अलकापुरी में बस गया।

वैदिक ग्रंथों में कुबेर को एक असुर कहा गया है। तथापि महाभारत और रामायण जैसे अन्य हिन्दू महाकाव्यों में उसका वर्णन धन के देवता और सबसे धनी देव के रूप में मिलता है। यह जानना रोचक होगा कि संस्कृत भाषा में कुबेर का अर्थ ‘विकलांग’ या ‘दानवी’ होता है। हिन्दू आख्यानों एवं प्रस्तर प्रतिमाओं में कुबेर का चित्रण विशाल उदर एवं कमल के पत्ते के वर्णवाले एक वामन के रूप में किया गया है।

हिन्दू मान्यताओं में ‘कुबेर का खजाना’ या ‘कुबेर का धन’ शब्दों को आमतौर पर धनवान व्यक्तियों के स्वर्ण भंडार या धन के लिए प्रयोग किया जाता है। कुबेर की वर्तमान मूर्ति या चित्र मुख्यतः देवी लक्ष्मी के साथ स्वर्ण से बने हैं। धन एवं सफलता हेतु ‘स्वर्ण प्रदाता’ के रूप में प्रतिष्ठित कुबेर को प्रायः लक्ष्मी के साथ पूजा जाता है और विशेषकर दीपावली के समय घरों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में इनकी पूजा होती है। ऐसी मान्यता है कि जो भक्त कुबेर मंत्र, ‘ॐ श्री कुबेराय नमः’ का 108 बार जाप करते हैं, उन्हें कुबेर अपने खजाने से सोना और अन्य मूल्यवान धातु प्रदान करता है।

कुबेर का अस्तित्व हिन्दुत्व के अतिरिक्त जैन एवं बौद्ध कथाओं में भी उपलब्ध हैं। बौद्ध ग्रंथों में कुबेर का उल्लेख वैश्रवा के रूप में है जो चार मूल दिशाओं से संबद्ध चार दिव्य नृपों में से एक है। वहीं, जैन धर्म में कुबेर, 19वें तीर्थंकर मल्लीनाथ का सेवक यक्ष है जिसका नाम सर्वानुभूति या सारवाहन है।

कुबेर की सर्वव्यापकता के कारण अनेक पूजक समुदायों के बीच उसके भक्त पाए जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि समर्पण भाव से उसकी पूजा करने से उसके भक्तों को स्वर्णिम सफलता मिलती है।