Published: 17 अगस्त 2017

विश्व के निर्माण में स्वर्ण की भूमिका

अनादि काल से स्वर्ण मानवीय सभ्यता का एक अभिन्न अंग रहा है। स्वर्ण को लेकर हमारा प्रेम और विश्वास इतना दिव्य है कि यह हमारे धर्म और आध्यात्मिक विरासत का भी भाग रहा है। ईसाई धर्म के अनुसार, स्वर्ग में स्वर्ण की सीढ़ियां हैं। भारतीय धर्म और आध्यात्मिक पुस्तकों में अनेक बार स्वर्ण का उल्लेख आया है, खासकर रामायण में।

यहां तक कि इससे भी अधिक दिव्य स्वरुप में, स्वर्ण को विश्व के निर्माण में अपनी भूमिका के लिये जाना जाता है।


हिन्दू धर्म में स्वर्ण

हिन्दू धर्म में त्रिमूर्ति का अनुसरण किया जाता है:

ब्रम्हा, विष्णु और शिव3

निर्माता। पालक। विध्वंसक।

परंतु एक तंतु है जो इन सभी ईश्वरों को ब्रम्हांड के साथ में जोड़ता है, वह है: स्वर्ण।

पुरालेखों में स्वर्ण

हिन्दू धर्म में अनेक वेदकालीन प्रलेख मौजूद हैं जैसे वेद, उपनिषद, पुराण और महाकाव्य (रामायण, महाभारत, भगवद्गीता) और अनेक अन्य ग्रन्थ भी: मनुस्मृति, शत्पथ ब्राम्हण और गृह्य सूत्र।

वेदों के चार प्रकार हैं: ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद और अथर्व वेद। ऋग्वेद द्वारा यह माना जाता है कि विश्व का निर्माण ब्रम्हा द्वारा किया गया है।4 यहां पर जानिये कि वह वेदवाणी क्या कहती है:

  • वेदों की एक ऋचा के अनुसार स्वर्ण के अंडे या गर्भ की उपस्थिति है जिसे हिरण्यगर्भ कहा जाता है
  • शिव महापुराण में, यह बताया गया है कि विष्णु और ब्राम्हा के मध्य एक बार यह सिद्ध करने के लिये युद्ध हुआ कि दोनो में से श्रेष्ठ कौन है। शिव द्वारा ब्रम्हा और विष्णु व ब्रम्हा को सृष्टि की निर्मिति का कार्य दिया गया। इसके बाद शिव द्वारा ब्रम्हा को स्वर्ण अन्डा दिया गया जो दो भागों में बंट गया और इससे पृथ्वी और स्वर्ग का निर्माण हुआ।
  • मत्स्यपुराण के कुछ लेखों में ब्रम्हा और हिरण्यगर्भ के संबंध में वर्णन किया गया है। विश्व की निर्मिति और प्रारंभ स्वर्ण से हुआ है। उन्हे स्वयंभू कहा जाता थ और उन्होंने जल की निर्मिति करने के बाद स्वर्ण का बीज बोया। समय के अनुरुप एक स्वर्ण अन्डा सामने आया और इससे ब्रम्हा का सृजन हुआ।
स्वर्ण दिव्यता

यहां तक कि देवी देवताओं के साथ भी अक्सर स्वर्ण के संबंध में चर्चा होती है जैसे उनके स्वर्ण मुकुट, स्वर्ण के रथ आदि जिन्हे हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण स्थान है। स्वर्ण के वस्त्रों में सजे हुए, मंदिर के देवताओं की मूर्तियों के रत्नजडित स्वर्ण के मुकुट व आभूषण होते हैं जिन्हे ईश्वरीय शक्ति, ऊर्जा और दिव्यता का प्रतीक माना जाता है व भक्तों द्वारा उनकी उपासना की जाती है।

वैसे देखा जाए, तो स्वर्ण का संबंध लगभग सभी प्रमुख धर्मों से है। वह संबंध क्या है, यह जानने के लिये यहां पर क्लिक करें।

Sources:

Source1, Source2, Source3Source4Source5, Source6