Published: 02 अगस्त 2017

गोल्ड बॉन्ड स्कीम: एक आकर्षक विकल्प

भारतीय सरकार द्वारा सोवेर्जन गोल्ड बॉन्ड स्कीम के लॉन्च को अनुमति दे दी गई है जो कि जल्दी ही बाजार में उपलब्ध रहेगी।

वैसे देखा जाए तो यह डीमैट गोल्ड है जिसमें बॉन्ड को भारत सरकार की ओर से रिजर्व बैंक ऑफ इन्डिया (आरबीआई) द्वारा जारी किया जाता है और यह 5, 10, 50 और 100 ग्राम गोल्ड के रुप में होता है।

आप यदि भारतीय नागरिक हैं, तब इस स्कीम में इन्वेस्ट कर सकते हैं, लेकिन इसमें 500 ग्राम का इन्वेस्टमेन्ट कैप मौजूद है।

"इन बॉन्ड्स की अवधि कम से कम पांच से सात वर्ष की होती है जिस दौरान ग्राहक को गोल्ड की प्राईज में होने वाले उतार चढाव के नुकसान से बचाया जा सके।“ यह कथन है वित्त मंत्री अरुण जेटली का, जब वे इस स्कीम की घोषणा कर रहे थे।

फिजिकल गोल्ड के समान ही, आपके पास ऑप्शन होते हैं कि आप अपने बॉन्ड्स को रखकर सामान्य गोल्ड लोन के समान ही 75% लोन टू वैल्यू रेश्यो के अनुसार लोन प्राप्त कर सकते हैं।

फिजिकल गोल्ड लेते समय जिस प्रकार से ’नो योर कस्टमर (केवायसी)’ के नॉर्म्स का उपयोग किया जाता है, वही यहां भी लागू होता है। इसलिये यदि आप 50000 रुपये से अधिक के बॉन्ड्स खरीदते हैं, तब आपको केवायसी क्रायटेरिया को पूरा करना होगा और या तो पैन कार्ड या आधार कार्ड देना होगा।

बैंक, नॉन बैंकिंग फायनान्स कंपनियां, पोस्ट ऑफिस और नैशनल सेविंग सर्टिफिकेट (एनएससी) एजेन्ट्स, ये सरकार द्वारा अधिकॄत एजेन्सियां होती हैं जो इन बॉन्ड्स को इश्यू और रिडीम कर सकती हैं। इससे बॉन्ड को सब्स्क्राईब करना सरल हो जाता है।

रिडम्पशन के दौरान “गोल्ड के प्राईज को रेफरंस रेट से लिया जा सकता है और तय किये अनुसार रुपये का मूल्य आरबीआई रेफरन्स रेट के अनुसार इश्यू और रिडम्पशन के लिये लिया जाता है।“

फायदे

एक ग्राहक होने के नाते सबसे बडा फायदा आपको यह होगा कि गोल्ड बॉन्ड्स के लिये आपको किसी प्रकार की ट्रान्जेक्शन फीस देने की जरुरत नही होगी और यही तथ्य इस स्कीम को ज्यादा आकर्षक बना देता है।

रिडम्पशन के समय, आपको न केवल गोल्ड का उस समय का रेट मिलेगा (आरबीआई रेफरंस रेट के अनुसार) जो कि रुपयो में होगा लेकिन आपको अधिक ब्याज भी मिलेगा जो कि “गोल्ड टर्म्स” में होगा (गोल्ड के प्रिवेलिंग रेट के अनुसार) यह वह रेट होगा जो कि फिक्स्ड है या फ्लोटिंग, यह सरकार द्वारा तय किया जा सकेगा।

इसका अर्थ यह है कि जैसे प्राईज बढता है, आपको अपने इन्वेस्टमेन्ट का बेहतर रिटर्न मिलता है। लेकिन दूसरी ओर, यदि प्राईज कम होता है, तब आपका नुकसान आपके इन्ट्रेस्ट से कुछ हद तक कम हो जाता है।

इसे एक प्रकार से इन्सेन्टिव के रुप में भी लिया जा सकता है। यदि किसी स्थिति में गोल्ड के प्राईज एकदम से नीचे जाते हैं और कम रिडम्पशन मिलता है, आपके पास इस समय एक ऑप्शन हो सकता है कि, “आपको बॉन्ड्स तीन या अधिक सालों तक के लिये बढा सकते हैं।“

चूंकि इन बॉन्ड्स को सरकार की ओर से आरबीआई द्वारा जारी किया जाता है, उन्हे गवर्नमेन्ट गारन्टी के साथ दिया जाता है।

गवर्नमेन्ड द्वारा समय से पहले रिडम्पशन पर इन्डेक्सेशन बेनिफिट भी दिया जाता है जिसे इन्वेस्टर प्राप्त कर सकता है जब वह अपने गोल्ड बॉन्ड्स को दूसरे इन्वेस्टर को ट्रान्सफर करते हैं। आपकी पूरी अवधि के बाद के रिडम्पशन होने पर, आपको लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स नेट पर अगले बजट तक किया जा सकता है और इसे स्कीम के डॉक्युमेन्ट के अनुसार आगे बढाया जाता है। चूंकि इस स्कीम में फिजिकल गोल्ड शामिल नही होता,अ अपको इन्वेस्टमेन्ट करने से पहले अपने इन्वेस्टमेन्ट एडवायजर से सलाह लेनी चाहिये।