Published: 20 अगस्त 2018
सोने के उपहारों पर टैक्स संबंधी जानकारी
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सोने के उपहार को शुभ, मूल्यवान और सबसे प्यारा उपहार माना जाता हैI परन्तु इससे जुड़े टैक्स के पहलू क्या हैं? आइए, एक नजर डालते हैंI
‘उपहार’ की परीभाषा1958 में पहली बार उपहार को उपहार कर कानून 1958 के अंतर्गत टैक्स के दायरे में लाया गयाI वित्त कानून 1998 के अंतर्गत बाद में इसे खत्म कर दिया गयाI परन्तु वित्त कानून 2004 में एक बार फिर इसे टैक्स के दायरे में लाकर इनकम टैक्स व्यवस्था में जोड़ दिया गयाI
कानून क्या कहता है?
इस कानून के अनुसार, उपहार निम्नलिखित में से कुछ भी हो सकता है :
- कानूनी निविदा (लीगल टेंडर)
- अचल संपत्ति
- चल संपत्ति, जैसेकि प्रतिभूतियां, आभूषण, पुरातत्वीय संग्रह और कलाकृतियाँ, इत्यादिI
अपवाद क्या हैं?
- सगे-संबंधियों से उपहार : पति-पत्नी, माता-पिता, परिवार का कोई अन्य सदस्य, हिन्दू संयुक्त (अविभाजित) परिवार का कोई सदस्यI
परन्तु इस उपहार से होने वाली कोई भी आय टैक्स के दायरे में आएगीI
- विवाह के उपहार चाहे मित्रों की तरफ से हों या परिवार की तरफ से कर-मुक्त हैंI उपहार पाने वाले के लिए यह अच्छा रहता है कि वह विवाह (या इसके आसपास) की तिथि की गिफ्ट-डीड बनवा ले, जो पैसों के लेन-देन के बिना एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को दिए जाने वाले उपहार का दस्तावेज होता हैI यह उपहार की ईमानदारी का प्रमाण होता है, क्योंकि इसमें उपहार देने वाले और पाने वाले के नाम के साथ-साथ सोने के उस जेवर का विवरण भी दर्ज होता हैI यह स्वामित्व के प्रमाण का भी काम करता हैI जेवर के विवरण को उसी स्थिति में उजागर करना पड़ता है अगर प्राप्तकर्ता की वार्षिक आय उस वर्ष की सीमा-रेखा से अधिक होI 2016-17 के वर्ष के लिए यह 50 लाख थीI यह भी ध्यान में रखने की बात है कि दूल्हा-दुल्हन के माता-पिता या सम्बन्धियों को मिलने वाले सोने के उपहार टैक्स के दायरे में आते हैंI
- वसीयत या विरासत में मिलने वाले उपहार
फिर भी, इन दस्तावेजों को अपने पास रखें :
- वसीयत की एक प्रति
- प्राप्त आभूषणों के मूल्यांकन प्रमाण-पत्र की प्रतिलिपि या
- उस आभूषण के साथ मृतक के चित्र
सीमाएं :
अगर ग़ैर-सम्बन्धियों से प्राप्त उपहार का मूल्य 50,000 रूपए या इससे कम है तो प्राप्तकर्ता को टैक्स देने की जरूरत नहीं हैI . अगर आभूषण का मूल्य 50,000 रूपए से अधिक है तो पूरी राशि अन्य स्रोतों से आय के दायरे में आ जाती है और आपकी कर-दर के अनुसार कर-योग्य आय में शामिल हो जाती हैI
इसके साथ ही, अगर उपहार में मिले सोने को तीन वर्ष के भीतर बेच दिया जाता है तो प्राप्त लाभ को लघु अवधि पूँजी लाभ माना जाता है, जो आपकी कर-दर के अनुसार टैक्स के दायरे में आता हैI तीन वर्ष के बाद बेचने पर प्राप्त लाभ दीर्घ अवधि पूँजी लाभ माना जाता है, जिस पर इंडेक्सेशन के साथ 20.6% की दर से टैक्स देना पड़ता हैI इंडेक्सेशन रेट की सूचना सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ डायरेक्ट टैक्सेज द्वारा जारी की जाती हैI अगर यह उपलब्ध नहीं है तो भेंटकर्ता द्वारा खरीदने की तिथि के उचित बाजार मूल्य को लागत मूल्य माना जाएगाI
दीर्घ अवधि लाभ में छूट के लिए ग्रामीण विद्युतीकरण निगम लिमिटेड या भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के बांड खरीदे जा सकते हैं या आवासीय गृह संपत्ति में निवेश किया जा सकता हैI
संपत्ति कर (वेल्थ टैक्स)
- घोषित आय, कर-मुक्त आय, जैसेकि कृषि की आय और घरेलू बचत से खरीदे गए या कानूनी तौर पर विरासत में मिले सोने/आभूषणों पर कोई टैक्स नहीं देना पड़ताI
- विरासत के प्रमाण के लिए वसीयत की एक प्रति अपने पास रखेंI
- भले ही संपत्ति कर खत्म कर दिया गया है, परन्तु अगर सभी संपत्तियों, जैसेकि एक दूसरा, खाली घर, शहरी जमीन, सोना, निजी कार, पेंटिंग्स, मंहगी घड़ियां इत्यादि का मूल्य 30 लाख रूपए या कर-योग्य आय 50 लाख से अधिक है तो इन संपत्तियों की घोषणा करना अनिवार्य हैI इसलिए घोषित मूल्य के सोने पर आपका कानूनी स्वामित्व माना जाता हैI
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इनकम टैक्स के छापे के दौरान स्रोत का प्रमाण न होने पर भी निम्नलिखित सीमा के भीतर के सोने को जब्त नहीं किया जा सकता
- विवाहित महिलाओं के लिए – 500 ग्राम
- अविवाहित महिलाओं के लिए - 250 ग्राम
- पुरुषों के लिए – 100 ग्राम
यह याद रखें कि यह सीमा
- सोने के आभूषणों के लिए है, न कि सिक्कों या गोल्ड-बार इत्यादि के लिए
- इसमें विरासत में मिला या खरीदा गया सोना शामिल है, न कि किसी मित्र या सम्बन्धी की तरफ से अपने पास रखा गया सोना
तलाशी लेने वाले अधिकारियों को यह अधिकार है कि परिवार के रीति-रिवाज और परम्परा इत्यादि को देखते हुए वे सीमा से अधिक सोने को भी जब्त न करेंI
सोने का उपहार आपके प्रियजनों को सोने के भरपूर सामाजिक, आर्थिक और सौन्दर्य-बोधात्मक लाभ उठाने के अवसर प्रदान करता हैI आशा है उपरोक्त जानकारी से आपको अपनी अगली सोने की खरीददारी में काफी मदद मिलेगीI