किसी भी वित्तीय पोर्टफोलियो के दो मुख्य आधार होते हैं निवेश और बीमा। अपनी सम्पत्ति बढ़ाने के लिए आपको अपने पैसे निवेश करने होंगे और किसी आर्थिक संकट से खुद को बचाने के लिए उसका बीमा भी कराना होगा।
अब, सोना आपके पोर्टफोलियो में क्या भूमिका निभाता है – यह निवेश वाहन है या उसके ख़िलाफ कोई बीमा? आपके पोर्टफोलियो के लिए सोने में वो विशेषताएँ हैं जो दूसरी किसी परिसम्पत्ति में नहीं। यह एक निवेश वाहन के रूप में भी काम कर सकता है और साथ-ही-साथ वित्तीय संकट से बचने के लिए एक बीमे के रूप में भी। आइए देखें कैसे:
सोना - बीमे के रूप में
किसी भी रूप का बीमा आपको किसी अप्रत्याशित संकट से हुए नुकसान को कम करके आपकी रक्षा के लिए होता है। और आपके वित्तीय पोर्टफोलियो के लिए, सोना ठीक यही काम करता है। स्टॉक और बॉन्ड जैसे प्रमुख परिसम्पत्ति वर्गों से निम्न सहसम्बंध होने के कारण, किसी आर्थिक संकट के समय सोना बेहतरीन प्रदर्शन देता है।
उदाहरण के लिए, 2018 के स्टॉक मार्केट क्रैश को ले लीजिए।
इस दौरान, निवेशकों को अपने सोने के निवेश से आस मिली। उनके नुकसान की कुछ हद तक पूर्ति हुई और उन्हें तरलता भी मिली।
यहाँ तक कि मुद्रास्फीति के समय भी, जब कीमतें चोटी पर होती हैं, सोना निवेशकों के लिए रक्षा-सूत्र बनकर आया है। इसकी सीमित आपूर्ति और आंतरिक मूल्य के कारण, ना तो इसकी मांग कभी कम होती है, और ना ही इसकी कीमत।
यही नहीं, निवेशक सोने को मुद्रा विमूल्यन के समय सम्बल के तौर पर भी इस्तेमाल करते हैं। जब डॉलर कमज़ोर होता है, सोना ज़्यादा महँगा हो जाता है। इसलिए कागज़ी मुद्रा पर संकट आने पर लोग आश्रय के लिए सोने की ओर रुख़ करते हैं।
इतिहास की दृष्टि से देखें, तो जब विमुद्रीकरण होता है, या उनकी क्रय क्षमता में भारी गिरावट आती है, या जब शेयर मार्केट क्रैश करता है, तब निवेशकों के पोर्टफोलियो के लिए सोना रक्षक बनकर सामने आता है। इसलिए अपने पोर्टफोलियो में सोना जोड़ना एक समझदारी-भरा निर्णय होता है क्योंकि सोना लाभकारी विविधता लाता है।
सोना – निवेश के रूप में
सोने ने बीमे के रूप में उपयोगिता तो सिद्ध कर ही ली है, यहाँ तक कि एक विश्वसनीय निवेश परिसम्पत्ति के रूप में भी खुद को श्रेष्ठ साबित कर दिखाया है, जो कठोर आर्थिक संकट की घड़ी में भी रिटर्न देता है।
हमने देखा है कि सोने ने पहले के समय के कई सबसे उपयोगी निवेश परिसम्पत्तियों में से कुछ से भी बेहतरीन प्रदर्शन दिया था।
लम्बे समय में सोने की कीमत को आर्थिक वृद्धि का सहारा रहता है। यह ना सिर्फ मुद्रास्फीति के खिलाफ सम्बल के रूप में काम करता है, बल्कि लम्बे समय में बेहतरीन रिटर्न भी देता है। दूसरे परिसम्पत्ति वर्गों की तरह, सोने का मूल्य भौगोलिक सीमाओं और जातीय मुद्राओं को पार करता है। यह सहज ही उपलब्ध है और पारदर्शी है, और फिर भी दूसरी किसी परिसम्पत्ति से बेहतर तरलता प्रदान करता है।
आजकल सोने के क्रय-विक्रय ने कई रूप ले लिये हैं। भौतिक सोने के अलावा, गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) और डिजिटल गोल्ड नये ज़माने के भारतीय नागरिक को निवेश के नये विकल्प प्रदान कर रहे हैं। गहनों और सिक्कों की तरह, इनमें कोई मजूरी नहीं लगती और भंडारण की परेशानी भी नहीं होती। जो लोग सोने में निवेश करना शुरु कर रहे हैं, उनके लिए छोटी मात्रा में भी सोना सहजता से उपलब्ध होता है।
चाहे परम्परागत तरीके से खरीदें या आधुनिक तरीकों से, सोना भारतीयों के लिए हमेशा एक अद्वितीय और पसंदीदा निवेश विकल्प बना रहेगा। तो आप चाहे सोने को अपने निवेश पोर्टफोलियो के लिए बीमे के रूप में देखें या निवेश के रूप में ही, सोना निश्चित रूप से अमूल्य है, बेजोड़ है।
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