Published: 20 फ़रवरी 2018

स्वर्ण के आरोग्यकारी गुण

Health benefits of gold

उत्कृष्ट आरोग्यकारी के रूप में चर्चित, पीली धातु – स्वर्ण के बारे में मान्यता है कि इसमें आरोग्यकारी गुण होते हैं. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से प्राचीन समय में 24 कैरट शुद्ध स्वर्ण का प्रयोग किया जाता था, क्योंकि लोगों की समझ थी कि मिश्रधातु शुद्ध स्वर्ण के आरोग्यकारी गुणों और इससे निकलने वाली उष्ण तरंगों को को परिवर्तित कर देगा. कहा जाता है कि यदि कोई व्यक्ति संक्रमण या घाव पर शुद्ध स्वर्ण रखे तो इससे घाव को तेजी से भरने में मदद मिलेगी और कभी-कभी संक्रमण का फैलाव भी रुक सकता है. कैसे? ऐसा माना जाता था कि स्वर्ण में एक उष्ण ऊर्जा और पीड़ा शामक कम्पन होता है जिससे शरीर को आराम पहुंचता है. इसके अलावा रक्त धमनियों को राहत मिलती है जिससे उतकों में रक्त प्रवाह सुनिश्चित होता है और मृत कोशिकाओं की जगह नयी कोशिकाएं तेजी से बनने लगतीं हैं. ठीक उसी तरह जैसा कि लोग मानते हैं कि ध्यान से शरीर को शान्ति मिलती है और व्यक्ति स्वस्थ एवं तरोताजा बना रहता है.

ऐक्युपंक्चर विशेषज्ञ चांदी और स्वर्ण की सूई भी इस्तेमाल करते थे. जहां यह कहा गया कि स्वर्ण उष्ण और स्फूर्तिदायक होता है, वहीं चांदी में शीतल और अवरोधक गुण होते हैं. शरीर के शुद्धिकरण के लिए एक उत्कृष्ट विकल्प के रूप में उपयोगी स्वर्ण के बारे में मान्यता है कि यह मानव शरीर की भावनात्मक तंत्र पर क्रिया करता है, इसे स्थिरता प्रदान करता है, चिंता एवं तनाव दूर करता है और सकारात्मकता बढाता है.

स्वर्ण का प्रयोग मानसिक योग्यता बढ़ाने के लिए, और अन्तःस्रावी तंत्र को पुनर्जीवित करने में किया जाता रहा है. यह बायें और दाहिने मस्तिष्क को संतुलित करने में सहायक है, और स्वलीनता, शिक्षण एवं पठन दुर्बलता (डिस्लेक्सिया), मिर्गी, और शारीरिक अंगों के समन्वय से जुड़ी अवस्थाओं को ठीक करता है.

स्वर्ण की ऊर्जा सूक्ष्म किन्तु प्रत्यक्ष होती है. इससे निकलने वाली ऊर्जा ग्रहणशील और सहकारी, दोनों होती है. और, जहां तक क्लियोपैट्रा की त्वचा की चमक पर आश्चर्य करने की बात है, तो ऐसी मान्यता है कि रानी क्लियोपैट्रा हर रात स्वर्ण के खोल पहन कर सोती थी. यही उसकी त्वचा की कांती का रहस्य है! चमकीला स्वर्ण अपनी आभा चारों तरफ फैलाता है, आप मानेंगे न?