Published: 27 सितंबर 2017

कोलार स्वर्ण क्षेत्र का इतिहास

Kolar Gold Fields

कर्नाटक में वर्तमान बेंगलुरु से लगभग 50 किलोमीटर दूर स्थित, कोलार स्वर्ण क्षेत्र (कोलार गोल्ड फील्ड – केजीएफ़) संभवतः भारत में प्राचीनतम स्वर्ण भण्डार हैं. ऐतिहासिक उल्लेख बताते हैं कि यहाँ प्रथम शताब्दी ईस्वी से ही अलग-अलग समय में स्वर्ण की खुदाई होती रही है, जिनमे 900 ईस्वी से 1000 ईस्वी के बीच चोला साम्राज्य और 16वीं सदी में विजयनगर साम्राज्य से लेकर 18वीं सदी के उत्तरार्द्ध में मैसूर के राजा टीपू सुलतान के काल तक की अवधि सम्मिलित हैं. सदियों तक केजीएफ़ से दक्षिण भारत के शासकों को भारी मात्रा में धन की प्राप्ति हुयी.

यह भारत के सबसे गहरे खदानों में से एक था, जहां 1980 और 1990 के दशकों में धरती की सतह से 3 किलोमीटर नीचे खुदाई होती थी. केवल दक्षिण अफ्रीका के कुछ खदान इससे ज्यादा गहरे हैं. 19वीं सदी के अंतिम वर्षों में ब्रिटिश खनन कम्पनी जॉन टेलर ने खुदाई कार्य का जिम्मा लिया और 1920 के दशक में खदान में विद्युत शक्ति संस्थापित की. उस समय दक्षिण भारत के अधिकाँश हिस्सों में बिजली उपलब्ध नहीं थी. वह कंपनी बड़े गर्व के साथ दावा करती थी कि आप धरती में एक किलोमीटर गहराई से सीधे जॉन टेलर के लन्दन कार्यालय से बात कर सकते हैं.

इतनी अधिक गहराई में खुदाई के लिए विशेष उपकरण की आवश्यकता होती है. इसलिए केजीएफ़ ने 1940 के दशक में मैनचेस्टर, इंग्लैंड में बना विश्व का सबसे बड़ा ड्रम लगाया. जॉन टेलर ग्रुप द्वारा प्रतिष्ठापित अधिकाँश मशीनें 1990 के दशक तक काम कर रही थीं, हालांकि, वे 50 से 100 साल पुरानी थीं. वह एक तरह से मूल विनिर्माताओं और भारत माइंस के निरंतर उत्कृष्ट रख-रखाव, दोनों के प्रति सम्मान का प्रदर्शन था.

आधुनिक खुदाई का काल 1880 से 2001, 120 वर्षों तक रहा. 2001 में सरकारी कम्पनी, भारत गोल्ड माइंस लिमिटेड ने परिचालन बंद कर दिया, क्योंकि प्रति वर्ष खुदाई से प्राप्त स्वर्ण का मूल्य किसी भी रूप में परिचालन लागत के बराबर भी नहीं हो रहा था. किन्तु केजीएफ़ का अस्तित्व अभी समाप्त नहीं हुआ है.

जुलाई 2010 में, सर्वोच्च न्यायालय ने भारत में स्वर्ण की खुदाई पुनः आरंभ करने का आदेश पारित करते हुए स्वर्ण भण्डार सहित खदानों की नीलामी की अनुमति दी. 2016 में नरेन्द्र मोदी सरकार ने केजीएफ़ की नीलामी की घोषणा की. इसलिए लगता है कि दक्षिण भारत के प्रथम विद्युतीकृत शहर, जो अभी भुतहा शहर की शक्ल में है, का भाग्य एक बार पुनः खुल सकता है.