Published: 08 नवंबर 2017
महाराष्ट्र के सोने की कमीज वाले आदमी ने गिनीज विश्व रिकॉर्ड बनाया
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महाराष्ट्र के जाने-माने व्यवसायी और राजनेता पंकज पारख ने गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स (जीडब्ल्यूआर) में जगह बनाई, जिन्हें उनके दोस्त 'सोने की कमीज वाला शख्स' भी कहते हैं।
जीडब्ल्यूआर सर्टिफिकेटधारी 47 वर्षीय पारख के पास 1 अगस्त 2014 को "दुनिया की सबसे महंगी'' यानी कि "98,35,099 रुपये ($161,354/GBP 95,856)" कीमत वाली सोने की कमीज थी।.
“इस पर यकीन नहीं आता कि महाराष्ट्र के एक देहाती इलाके का एक छोटा सा व्यक्ति इतनी बड़ी उपलब्धि पा सकता है। मुझे खुशी है कि इस उपलब्धि ने मेरे गाँव का नाम पूरी दुनिया में रौशन कर दिया है।" पंकज पारख कहते हैं।
मुंबई से लगभग 260 किलोमीटर दूर, नासिक जिले के येओला शहर में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का उप-मेयर, जिसने एक कपड़ा निर्माण व्यवसाय से अपना भाग्य आजमाया, एक स्कूल ड्रॉपआउट था।
एक कमीज, जिसकी कीमत इस समय 1.30 करोड़ रुपये से ज्यादा है, का वजन लगभग 4.10 किलोग्राम है। यह कमीज सोने की घड़ी, सोने की कई जजीरों, सोने की बड़ी-बड़ी अंगूठियों, सोने कस मोबाइल कवर और गोल्डन-फ़्रेम वाले चश्मे को मिलाकर कुल 10 किलोग्राम वजन की है!
जब भी पारख सारे सोने से लदा और अपनी लाइसेंसी रिवॉल्वर को ठाठ से पहने येओला की सड़कों पर निकलता है, तो उसका कहना है कि महिलाएं और पुरुष उसे देखते ही रह जाते हैं, जबकि दो चौकस निजी सुरक्षाकर्मी सभी को सुरक्षित दूरी पर रखने की व्यवस्था करते हैं।
“मैंने दो साल पहले अपने 45वें जन्मदिन के लिए सात सोने के बटनों वाली इस विशेष सोने की कमीज सिलवाई थी। स्कूल के दिनों से ही मैं सोने पर मोहित था, और आगे चलकर यह एक जुनून बन गया, लगभग एक पागलपन।” पंकज पारख बताते हैं।
यह कमीज नासिक से 85 किलोमीटर दूर स्थिति बाफना ज्वैलर्स ने डिजाइन की थी और इसे मुंबई के परेल में शांति ज्वैलर्स ने सावधानीपूर्वक सिला था।
18 से 22 कैरेट शुद्ध सोने की इस कमीज को बनाने में 20 चुनिंदा कारीगरों की एक टीम ने इसमें अंतिम धागा पिरोने तक दो महीनों में 3,200 घंटे खर्च किए, और कर अधिकारियों से दूर रहने के लिए इस सौदे का पूरा बिल बनाया गया था।
पारख ने कहा कि सोने से बनी यह कमीज पूरी तरह से लचीली और आरामदायक है, बिल्कुल चिकनी और हानिरहित है, धुलाई योग्य और मरम्मत योग्य जीवन-भर की गारंटी के साथ है और इसके भीतर पतला कपड़ा लगाया गया है, ताकि शरीर को रगड़ न लगे।
आज से तीन दशक पहले, गरीब, युवा पारख अपनी स्कूली शिक्षा पर खर्च करने में समर्थ नहीं थे और आठवीं कक्षा के बाद येओला में परिवार के कपड़ों के छोटे-से व्यवसाय में मदद करने के लिए उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी।
1982 में, उन्होंने अपना स्वतंत्र व्यवसाय शुरू किया और एक दशक बाद येओला नगरपालिका पार्षद के रूप में वह राजनीति में आ गए।
25 साल पहले मेरी शादी में, कई मेहमान मुझसे शर्मिंदा हुए क्योंकि मैंने दुल्हन की तुलना में ज्यादा सोना पहना हुआ था।
वर्षों में अर्जित प्रगति और समृद्धि से उन्होंने अपने परिवार की सभी जरूरतों को पूरा किया, जिसमें एक अच्छा घर, जिसकी देखरेख पत्नी प्रतिभा करती हैं और अपने दो बेटों, सिद्धार्थ (24) और राहुल (21) के लिए उच्च शिक्षा शामिल है।
वह अपने जुनूनी काम में व्यस्त रहे और शानदार ऊंचाइयां हासिल करने के लिए अपनी अतिरिक्त आय का निवेश किया, जिससे उन्हें जीडब्ल्यूआर तक पहुंचने में मदद की।
18 से 22 कैरेट शुद्ध सोने की इस कमीज को बनाने में 20 चुनिंदा कारीगरों की एक टीम ने इसमें अंतिम धागा पिरोने तक दो महीनों में 3,200 घंटे खर्च किए। (फोटो : आईएएनएस)
पारख ने ठहाका लगाकर कहा कि उनके परिवार को सोने के प्रति उनके जुनून से कोई मतलब नहीं था और वे इस पर कोई ध्यान नहीं देते थे, बल्कि वे इसे 'एक अनिष्ट बुराई' की तरह अनदेखा करते हैं, और उनके सभी रिश्तेदारों का मानना है कि वे झक्की हो गए हैं।
पारख कहते हैं कि जब पूरा परिवार विवाहों या महत्वपूर्ण सामाजिक कार्यक्रमों में शामिल होता है, तो वे लगभग साढ़े तीन किलो सोने के आभूषणों से सजते हैं, जबकि उनकी पत्नी सिर्फ 40-50 ग्राम सोने के आभूषण पहने हुए होती हैं।
येओला अपनी पठानी सिल्क साड़ियों के लिए प्रसिद्ध है, और वहां के शालू और पीताम्बर साड़ी के ब्रांड राष्ट्रीय स्तर पर जाने जाते हैं।
अपनी सोने की शान के बावजूद, पारख बहुत व्यावहारिक और दूसरों की परवाह करने वाले इंसान हैं, जो बहुत-सी सामाजिक और शैक्षिक गतिविधियों में भागीदारी करते हैं।
पारख ने पिछले सात वर्षों में देश के सबसे बड़े 1,000 बिस्तर वाले नारायण सेवा संस्थान अस्पताल, जो कि उदयपुर, राजस्थान का पोलियो अस्पताल है, में 150 ऑपरेशनों के लिए आर्थिक सहयोग दिया था।
वे हर वर्ष एक सप्ताह गरीब रोगियों को आर्थिक मदद, भोजन, दवाइयां और अन्य जरूरतों का प्रबंध करने के लिए स्वैच्छिक सेवाएं देते हैं।
महाराष्ट्र में पुणे के दत्ता फुगे, नवी मुंबई (ठाणे) के जगदीश गायकवाड़, पुणे के महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के स्वर्गीय नेता रमेश वंजले और कुछ हद तक, मुंबई के प्रसिद्ध संगीत निर्देशक बप्पी लाहिड़ी भी ‘सोने के पुरुष’ माने जाते हैं।