Published: 06 फ़रवरी 2019

भारत में सोने के आभूषण की हॉलमार्किंग के मानदंड

Understanding gold hallmarking norms in India

यह पक्‍का करने के लिए कि खरीदारों को उनकी सोने की खरीद की गुणवत्ता और शुद्धता का आश्वासन दिया जा सके, 2000 में भारत में सोने की हॉलमार्किंग शुरू की गई थी। हालांकि यह आज भी एक स्वैच्छिक योजना ही है, लेकिन सरकार और भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) द्वारा पिछले 18 वर्षों में भारत में हॉलमार्किंग को अनिवार्य बनाया जाने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए गए हैं।

बीआईएस हॉलमार्क के 4 चिन्‍ह हैं :

बीआईएस का लोगो

यह भारतीय मानक ब्यूरो का लोगो है। आपके सोने के आभूषणों पर बीआईएस का लोगो एक आश्वासन है, जो दर्शाता है कि आभूषण बीआईएस मानकों के अनुसार तैयार गया है।

सोने की धातु की शुद्धता और विशुद्धता

आपका जौहरी निश्चित तौर पर आपको सोने की चीज की शुद्धता बताएगा। फिर भी, शुद्धता और विशुद्धता के चिन्‍ह की जांच करके इस दावे को सत्यता को जांचें। याद रखें कि भारत में हॉलमार्किंग केवल तीन श्रेणियों में की जाती है : 22, 18 और 14 कैरेट। शुद्धता और विशुद्धता की पहचान करने के लिए, आपको निम्‍नलिखित चीजें देखनी चाहिए :

22K916 22 कैरेट सोने के लिए

18K750 18 कैरेट सोने के लिए

14K585 14 कैरेट सोने के लिए

परख प्रक्रिया केंद्र पहचान चिन्‍ह (एएचसी स्‍वर्ण चिन्‍ह)

यह परख प्रक्रिया एवं हॉलमार्किंग केंद्र (एएचसी — AHC) का चिन्‍ह है, जहां आपके आभूषण को प्रमाणित किया गया है। यह यहां है कि कठोर परीक्षण कई चरणों में किया जाता है ताकि यह पता लगाया जा सके कि कोई विशेष सोने की वस्तु बीआईएस द्वारा निर्दिष्ट मानकों को पूरा करती है या नहीं।

ज्वैलर मार्क गोल्ड ज्वैलरी

यह सोने की वस्तु बेचने वाले जौहरी का अनूठा चिह्न है। यह दर्शाता है कि जिस ज्वेलर से आप खरीदारी कर रहे हैं, वह अधिकृत है।

प्रारंभ में, सोने के हॉलमार्क में सोने के आइटम के वर्ष सहित 5 प्रतीक शामिल थे। हालांकि, बाद में इसे BIS हॉलमार्क से हटा दिया गया था।

आभूषण पहचान चिह्नों की वर्तमान स्थिति

वर्तमान में, भारत में 680 से अधिक परख और हॉलमार्किंग सेंटर (AHCs) हैं जो लगभग 24,000 पंजीकृत ज्वैलर्स के नेटवर्क का समर्थन करते हैं। आप बीआईएस लाइसेंस प्राप्त एएचसी की पूरी सूची यहां और ज्वैलर्स से पा सकते हैं। सरकार हॉलमार्क वाले गहनों को हर भारतीय के लिए सुलभ बनाने के लिए कई कदम उठा रही है। इसमें शामिल है:

Steps involved to make hallmarked gold jewellery available for Indians

इनके अलावा, देश में हॉलमार्किंग को अनिवार्य बनाने के लिए कई उपाय किए जा रहे हैं।

उदाहरण के लिए, जून 2016 में, सरकार ने अनिवार्य हॉलमार्किंग के लिए एक बिल पेश किया। हालांकि यह बिल अभी तक पारित नहीं हुआ है, लेकिन इसे वास्तविक बनाने की दिशा में प्रयासों को उत्प्रेरित करने में एक बड़ी भूमिका निभाई। 2017 में, बीआईएस ने हॉलमार्किंग के मानकों को संशोधित किया ताकि लाइसेंस प्राप्त ज्वैलर्स केवल 14k, 18k और 22k ज्वैलरी बेच सकें। इसने मसौदा हॉलमार्किंग नियमों को भी जारी किया जिसमें भारत में हॉलमार्किंग को अनिवार्य बनाने का प्रस्ताव था। ये उपाय सोने के उद्योग को मजबूत, बड़ा और अधिक पारदर्शी बनाने में मदद करेंगे।

अनिवार्य हॉलमार्किंग का कार्यान्वयन भारत जैसे देश में उम्मीद से थोड़ा अधिक समय ले सकता है। हालांकि, बीआईएस और सरकार के निरंतर प्रयास सकारात्मक परिणाम दिखा रहे हैं।

इन चरणों के सफल कार्यान्वयन के साथ, भविष्य दुनिया के सबसे बड़े आभूषण बाजार के लिए उज्ज्वल दिखता है।.

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