Published: 20 फ़रवरी 2018

अर्थव्यवस्था में स्वर्ण की भूमिका

Role of gold in economy

प्राचील काल से ही कर्ज लेने के लिए स्वर्ण आभूषणों को साहूकारों के पास गिरवी रखने की परम्परा चली आ रही है. अगर जमानत नहीं हो तो किसी को भी कर्ज नहीं मिल सकता. अधिकांश कारोबारी संपत्ति या जमीन जैसे जमानत के आधार पर कर्ज लेते हैं. किन्तु, जहां तक छोटे कारोबारी और मालिकाना व्यवसायों की बात है, वे अक्सर जमानत के रूप में परिवार का स्वर्ण बंधक देकर कर्ज लेते हैं.

प्राचीन भारत में स्वर्ण का प्रमुख स्रोत रोमन साम्राज्य था. जहां रोमनों द्वारा विलासिता पर खर्च किये गए धन का कुछ हिस्सा अरब में रह गया होगा, वही बाकी धन भारत में आ गया. रोमन काल में, भारी मात्रा में स्वर्ण को भारत भेजा गया था और यह सिलसिला लगभग 2,000 वर्षों तक चलता रहा. प्राचीन भारत में हुंडी प्रथा का प्रचलन था. यह व्यापारिक लेन-देन में प्रयुक्त एक तरह का ऋण साधन था, जो साख और विश्वास पर निर्भर होता था. साथ ही, जमीन के अलावा आपके पास विशवास जीतने और दूर देशों में आपकी हुंडी स्वीकार होने के लिए पर्याप्त स्वर्ण होना चाहिए.

हाल के समय तक नियम था कि स्वर्ण के बगैर कोई व्यापार नहीं हो सकता था. आजकल भी अगर आप कोई कर्ज लेना चाहते हों, तो आप अपना स्वर्ण अपने बैंक खाते में या गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) में जमा करके आसानी से कर्ज प्राप्त कर सकते हैं.

आरम्भ में, वैशिक बैंकिंग व्यवस्था जमा के रूप में केवल स्वर्ण को मान्यता देती थी. बैंकों ने धन उधार देने के माध्यम से स्वान के आधार पर नोट जारी करना आरम्भ किया. हमारे नोटों पर लिखे शब्द “मैं धारक को ..... रुपये अदा करने का वचन देता हूँ” तब से चले आ रहे हैं जब हमारे नोट्स स्वर्ण के जमा का प्रतिनिधत्व करते थे. उस समय लोग अपने नोटों के बदले उतने ही मूल्य का स्वर्ण ले सकते थे. किन्तु, आजकल इन शब्दों का अर्थ बदल गया है. इतका अर्थ है कि बैंक नोट एक ख़ास राशि के लिए वैध मुद्रा है.

भले ही निक्सन ने 1971 में स्वर्ण-मान को अस्वीकृत कर दिया था, तो भी आजकल भारतीय रिज़र्व बैंक सहित पूरे विश्व की बैंकिंग व्यवस्था में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मुद्रा की तरलता सुनिश्चित करने के लिए स्वर्ण रखा जाता है.

1991 में भारत की मुद्रास्फीति दर सबसे ऊंचे स्तर पर थी. हवाई जहाज में स्वर्ण भर कर बैंक ऑफ़ इंग्लैंड में भेजा गया. स्वर्ण के भौतिक भण्डार के बगैर आईएमएफ ने भारत को कर्ज देने से मना कर दिया था.

जब तक सरकार पर भरोसा रहता है, तभी तक इसके द्वारा मुद्रित कागज़ के टुकड़ों (नोट्स) का मूल्य रहता है. किन्तु, सरकारों से ईतर स्वर्ण का मूल्य बना रहता है. इस पीले धातु से कर्ज लेने और निवेश करने में भी मदद मिलती है. इसका मूल्य उत्तम प्रतिमोचन के साथ इसके बाज़ार भाव के बराबर होता है. पूरे विश्व में इसकी कीमत एक समान रहती है और इसका मूल्य ह्रास किये बगैर इसे किसी भी वस्तु से बदला जा सकता है.