Published: 05 सितंबर 2017

आइजैक न्यूटन : रसायनज्ञ

अधिकांश लोग आइजैक न्यूटन को पारंपरिक भौतिकी और गणित में उनके उल्लेखनीय एवं बहुमूल्य योगदान के लिए जानते हैं. पेड़ से गिरते सेब को देखकर न्यूटन के मन में गुरुत्वाकर्षण का विचार आया. प्रकाश के अध्ययन के द्वारा उन्‍होंने हामी रंगों की समझ दी, और गणित में उनकी रूचि ने दुनिया को कलन की विधि (कैलकुलस) का ज्ञान कराया. न्यूटन का इतिहास जितना भी सुशोभित रहा हो, उन्‍होंने अधिकतर सफलताएं अपने जीवन के आरंभिक वर्षों में हासिल की. 25 वर्ष की उम्र होते-होते, न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण की खोज कर ली थी और जीवन के तीसरे दसक के आरम्भ में ही उनकी प्रिन्सिपिया मैथेमेटिका प्रकाशित हो गयी थी, जिसने दुनिया को कैलकुलस दिया.

एक विलक्षण भौतिकशास्त्री, गणितज्ञ और खगोलविज्ञानी के रूप में अपनी आरंभिक सफलता के बाद, न्यूटन रसायन विज्ञान के रहस्यमय और अज्ञात संसार में रम गए. रसायन विज्ञान के सिद्धांतों के अनुसार, हमारे आस-पास की हरेक चीज में कुछ-कुछ शाश्वत प्राण विद्यमान रहता है, और धातुओं के बारे में मान्यता थी कि ये न केवल प्राणवान होते हैं, बल्कि धरती के भीतर बढ़ते भी रहते हैं. रसायनज्ञों के लिए धातु कोई अद्वितीय पदार्थ नहीं थे, बल्कि धातु की आध्यात्मिक एवं भौतिक परिपक्वता में अंतर के कारण उनमें बस विविधता थी. शीशा जैसे मूल धातुओं को अपरिपक्व माना जाता था, जबकि स्वर्ण को परिपक्व धातु. उनका मानना था कि एक ख़ास तकनीक के प्रयोग से, जिसे रसायनज्ञों द्वारा ‘पारस पत्थर’ कहा जाता था, कोई भी किसी धातु को स्वर्ण में बदल सकता था.

अगर आपको लगता है कि यह अनर्गल बात है, तो ऐसा सोचने वाले आप अकेले व्यक्ति नहीं हैं. न्यूटन की मृत्यु के करीब रसायन विज्ञान बदनाम हो चुका था. रसायनशास्त्रियों में पेशेवर पहचान की ललक बढ़ती जा रही थी, और वे लोग रसायन शास्त्र के स्वर्ण-निर्माण के केंद्र-बिंदु से खुद को दूर करते गए. अपनी महान महत्वाकांक्षाओं के बावजूद, रसायनशास्त्र एक छद्म विज्ञान बन कर रह गया. कहा जाता है कि न्यूटन के अपने अनुसन्धान को गुप्त रखने के पीछे इसी सामाजिक और व्यावसायिक दबाव का हाथ था. दुर्भाग्य से, मानव इतिहास में महानतम विद्वान् भी रसायनशास्त्र के गूढ़ रहस्य का उद्भेदन करने में सफल नहीं हो सके. इससे आप यह सोचने को बाध्य हो सकते हैं कि न्यूटन का स्वर्ण के साथ, इसके रहस्य के साथ कैसा सम्बन्ध रहा होगा, और क्या हम शुद्ध स्वर्ण उत्पादित करने की विधि कभी जान पायेंगे ?