Published: 11 सितंबर 2018
जम्मू-कश्मीर में सोना के गहने
![Kashmiri Bridal Jewellery Kashmiri Bridal Jewellery](/sites/default/files/styles/single_image_story_header_image/public/Wearing_gold_in_Jammu_%26_Kashmir_700x395_2.jpg?itok=BE-qhh1m)
जम्मू-कश्मीर की जान बसती है उसकी परम्परा और संस्कृति में – उसकी नज़्मों से लेकर पाक-कला से लेकर विशिष्ट श्रृंगार तक।
कश्मीर के मनमोहक स्वर्णाभूषणों में वहाँ की समृद्ध विरासत का परिचय मिलता है। वहाँ के गहने अपनी बारीक, कुशलता से उकेरे गये डिज़ाइन, अद्वितीय और विवरणात्मक बनावट के लिए जाने जाते हैं। उनके नाम प्रेरित हैं विश्व की दो मधुर भाषाओं – पारसी और संस्कृत – से। बल्कि, कश्मीर में बारीक काम के गहनों की इतनी विविधता को लाने और प्रभावित करने का श्रेय जाता है मुग़ल बेगम नूरजहाँ को।
कश्मीर के स्थानीय कलाकार गहने बनाने की कला में बहुत प्रतिभाशाली है। उनकी तकनीक पुरानी और पारम्परिक हैं, तो भी आज के समय में उसका प्रतिरूप बनाना असम्भव है।
आइए देखते हैं जम्मू-कश्मीर के सोने के गहनों की कुछ विशिष्ट शैलियाँ:
जिगनी:
इस गहने को माथे पर पहना जाता है। यह सोने से बना होता है और इसकी किनारी पर मोती की लटकन और सोने की पत्तियाँ बनी होती हैं। यह आम तौर पर त्रिकोण, अर्ध-गोलाकार या गोलाकार होता है।
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हल्क़ाबंद:
हल्क़ाबंद एक पारम्परिक कसा हुआ चोकर है जिसे गले पर पहनते हैं। यह आम तौर पर सोने से बना होता है और इसके इंटरलॉकिंग भाग धागे से जुड़े रहते हैं।
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देजिहोर:
देजिहोर हर पंडित महिला के विवाह का प्रतीक होता है। यह कानों के झुमके जैसे होते हैं जो कानों के ऊपरी भाग से लटकते हैं। माना जाता है कि महान कश्मीरी आचार्य इसकी बनावट रच गये थे ताकि विवाहिताओं में दैवी शक्ति समा सके।
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अट्ट-होर:
यह गहना भी कश्मीरी पंडित विवाहिताएँ पहनती हैं। अट्ट-होर दोनों कानों से लटकता है और सिर पर सोने की एक चेन से जुड़ा होता है।
काना-दूर:
काना-दूर भी कानों के लिए एक गहना है हालाँकि यह युवतियों में अधिक प्रचलित है। यह सोने से बना होता है और इसमें लाल या हरे मोती जड़े होते हैं। कश्मीरी नज़्म में काना-दूर ‘प्रियतम’ के लिए प्रयोग किया जाता है।
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गुनुस:
गुनुस कलाई का एक गहना होता है। यह सोने का एक चौड़ा कड़ा होता है और इसके दोनों छोर पर एक साँप या एक शेर बना होता है। वन्य-जीवन से प्रेरित कई डिज़ाइनों में से यह एक डिज़ाइन है।
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सोंदस या ब्रांशील:
यह गहना भी विवाह बंधन का प्रतीक है। इसे अकसर लदाख की महिलाएँ पहनती हैं। सोंदस या ब्रांशील को विवाह के समय एक माँ अपनी बेटी को विरासत में देती है। इसे बायें कंधे पर पहना जाता है और इसमें चांदी के पतले लम्बे तार होते हैं जो सोने के डिस्क से जुड़े होते हैं।
माँग-टीका:
दुल्हन के गहनों की बात हो और सोने के माँग-टीका (या टीका) ना हो, ऐसा हो ही नहीं सकता। यह गहना माथे पर पहना जाता है। दुल्हन अपनी कलाई पर महीन सोने के तारों से बना एक कड़ा भी पहनती हैं।
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सोने के गहने जम्मू-कश्मीर की संस्कृति में रमे हुए हैं और सदियों से ही इस राज्य के साज-श्रृंगार का एक अहम हिस्सा हैं। उनके गहनों के विचित्र डिज़ाइन और शैली आज के आधुनिक कलाकारों और डिज़ाइनरों के लिए प्रेरणा का बहुत बड़ा स्रोत है।