Published: 09 फ़रवरी 2018

हमें भारतीय स्वर्ण सिक्के की आवश्यकता क्यों है

नवम्बर 2015 में प्रधान मंत्री, नरेन्द्र मोदी ने भारतीय गोल्ड कॉइन और भारतीय गोल्ड बार लांच किया था. वह भारत सरकार द्वारा तब तक का पहला राष्ट्रीय स्वर्ण प्रस्ताव था. यह ‘मेक इन इंडिया’ के अनुरूप उसी साल घोषित स्वर्ण सुधार योजना के पहल का हिस्सा था.

गोल्ड कॉइन 5 और 10 ग्राम के सिक्कों और 20 ग्राम की छड़ में मिलते हैं. उपभोक्ताओं के हितों की हिफाजत के लिए इस सिक्के पर उन्नत नकली विरोधी विशेषताएं होती हैं.

सरकार और उद्योग जगत के अनेक लोगों को यह सरकार द्वारा उठाया गया एक जबरदस्त कदम लगता है. वर्ल्ड गोल्ड कौंसिल के प्रवक्ता के अनुसार, “स्वर्ण मौद्रिकरण योजना के साथ भारतीय गोल्ड कॉइन से भारत में स्वर्ण के संगठित पुनर्चक्रण में तेजी आयेगी जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को और मजबूत करने में मदद मिलेगी.”

इस पहल से उपभोक्ताओं को भी फायदा होगा. भारत में और पूरे विश्व में भी शुरुआत करने वालों के लिए स्वर्ण पसंदीदा संपदा श्रेणी बना हुआ है. असल में, निवेशकों की राय है कि हर किसी को लगभग 8-10% धन स्वर्ण में लगाना चाहिए, ताकि निवेश में विविधता बनी रहे. इसे मुद्रा में बदलना आसान होता है और खुले बाज़ार में बेचा भी जा सकता है.

गोल्ड के लिए मौजूदा योजना के दायरे में आप पारदर्शिता और सरकार द्वारा निश्चित प्रतिस्पर्धी मूल्यन की उम्मीद कर सकते हैं. अधिक प्रासंगिक तौर पर भी आप जानते हैं कि कुछ पाने के लिए कुछ देना पड़ता है. साथ ही गोल्ड कॉइन भारतीय मानक ब्यूरो (बीआइएस) हॉलमार्क के अनुसार प्रमाणित हैं, जिसका अर्थ है कि आपको निश्चित रूप से 99.99 प्रतिशत शुद्धता के साथ केवल 24 कैरट का स्वर्ण मिलता है. यह सिक्का सुरक्षित पैकेजिंग में और पुनर्क्रय विकल्प के साथ मिलता है.

तो अब सोचना क्या, बस एक भारतीय गोल्ड कॉइन खरीद ही लें!