Published: 01 सितंबर 2017

थेवा आभूषण - राजस्थान का गौरव

मुग़ल काल में सोने की चिड़िया, कहा जाने वाला भारत अपने वैभव और संपन्नता के लिए प्रसिद्ध है। उनके शासन काल में निर्मित परिष्कृत शिल्पकृतियां को आज भी भारतीयों को लुभातीं हैं। ये संरचनाएँ और शिल्पकृतियाँ भारत की समृद्ध संस्कृति एवं परंपरा का अभिन्न हिस्सा हैं जिन्हें गर्व के साथ पूरे विश्व को दिखाया जाता है।

थेवा ऐसी ही एक शिल्पकृति है जिसका उद्भव मुग़ल काल के दौरान भारत में राजस्थान के शाही राज्य के प्रतापगढ़ जिले में हुआ था। राजस्थान की स्थानीय भाषा में थेवा का अर्थ ‘समायोजन’ होता है। थेवा की उत्कृष्ट कृति की रचना के लिए कारीगर 23 कैरेट का पतला स्वर्ण फलक तैयार करते हैं जिसे ”थेवकी पट्टी“ कहा जाता है। इस फलक को बड़ी बारीकी से पिघले शीशे पर उत्कीर्ण किया जाता है। इसमें स्वर्ण कर्म को प्रदर्शित करने वाले चमकदार प्रभाव लाने के लिए एक विशेष प्रक्रिया का पालन किया जाता है। एक कुशल कारीगर को एक थेवा बनाने में लगभग एक महीने का समय लग सकता है। थेवा के लिए प्रचलित संकल्पनाओं में हिन्दू पौराणिक कथाओं, मुग़ल दरबार के दृश्यों, अन्य ऐतिहासिक घटनाओं या वनस्पतियों एवं जीव-जंतुओं का समावेश है।

1707 में प्रतापगढ़ के नाथू जी सोनी नामक एक कारीगर ने थेवा निर्माण की प्रक्रिया का आविष्कार किया था। यह सबसे श्रमसाध्य कला रूपों में से एक है। यह कुशलता उनके परिवार की अगली पीढ़ी में हस्तांतरित होती गई। उनके वंशज स्वयं को “राज-सोनी” कहते हैं। इस परिवार के कारीगरों को विभिन्न यूनेस्को, राष्ट्रीय एवं राज्य सरकार के पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।

2011 में राजस्थान के राज-सोनियों का नाम लिम्का बुक ऑफ रेकर्ड्स में दर्ज किया गया। यह एकमात्र परिवार है जिसे नौ राष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं। 2015 में महेश राज सोनी को थेवा हस्तशिल्प में उत्कृष्टता के लिए भारत का चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्म श्री से सुशोभित किया गया।

भारत सरकार ने थेवा शिल्पकृति के सम्मान में 2004 में एक डाक टिकट भी जारी किया था और प्रिंस चार्ल्‍स के विवाह के अवसर पर उन्हें एक थेवा शिल्पकृति उपहार स्वरूप भेंट की गई थी।

बॉलीवुड के शीर्ष सितारों सहित युवा और फैशनपसंद लोगों के बीच थेवा आभूषण की लोकप्रियता आज भी कायम है। थेवा से संबंधित सामग्रियाँ, जैसे कि लोलक संग्रह, कंगन, कान की बालियाँ, कफ़लिंक आदि को धार्मिक अवसरों, उत्सवों, वैवाहिक समारोहों और दावतों में भी पहनने योग्य हैं। थेवा से संबंधित सामग्रियों की सुघड़ सुंदरता हर तरह के अवसर पर आपकी छवि निखारती है।