Published: 31 जुलाई 2017

पेपर गोल्ड पर कर लाभ

Paper Gold Investment

भौतिक तौर पर सोने (गहने, सिक्के, बार आदि) में निवेश करने पर कई तरह के कर प्रावधानों का सामना पड़ता होता है और कई अन्य खर्च भी उठाने पड़ते हैं। कराधान कानून (द्वितीय संशोधन) विधेयक के मुताबिक, प्रति शादी-शुदा महिला, अकेली महिला और पुरुष के पास क्रमश: 500 ग्राम, 250 ग्राम, और 100 ग्राम तक सोना रखने पर उनको कर नहीं देना पड़ेगा। हालांकि, जब वे इसे लाभ के लिए बेचते हैं, तो सामान्य उपभोग कर और आयकर के तहत उन पर कर लागू हो जाता है। इसके अतिरिक्त, फिजिकल सोना रखने पर इसमें मेकिंग चार्ज, भंडारण या लॉकर फीस के रूप में दूसरे खर्च भी शामिल हो जाते हैं। ये सारे खर्च निवेश और होल्डिंग के दौरान वहन किये जाते हैं।

लेकिन सोने में निवेश करने के और भी तरीके हैं, जिसमें कर देनदारी कम है..

  1. गोल्ड ईटीएफ: ये स्टॉक एक्सचेंज पर कारोबार करने वाले कंपनी स्टॉक के समान होते हैं। गोल्ड ईटीएफ में निवेश करने पर यूनिट के रूप में सोने का आवंटन किया जाता है। ये सोने के बाजार मूल्य के बराबर होते हैं और कमोडिटी एक्सचेंजों पर उनकी खरीद-बिक्री की जाती है। जब सोने के इस रूप को तीन साल के बाद बेचा जाता है तो उसपर इंडेक्सेशन बेनिफिट के साथ 20% पूंजीगत लाभ कर देना होता है। उदाहरण के लिए, अगर आपके गोल्ड ईटीएफ का मूल्य हरे साल 12% बढ़ता है और इसी अवधि अगर मुद्रास्फीति 8% बढ़ती है, तो कर केवल शेष 4% मूल्य पर लागू होगा।
  2. गोल्ड म्युचुअल फंड: ये ऐसे म्युचुअल फंड होते हैं जिनको पेशेवर फंड मैनेजर द्वारा गोल्ड ईटीएफ में निवेश किया जाता है। गोल्ड म्युचुअल फंड आपके जोखिम को विविधता प्रदान करते हैं। गोल्ड ईटीएफ की ही तरह गोल्ड म्युचुअल फंड को भी तीन साल बाद बेचे जाने पर इंडेक्सेशन बेनिफिट के साथ पूंजीगत लाभ कर देना होता है। अगर इसे तीन साल के पहले बेच दिया जाता है, तो इस पर लाभ को आपकी आमदनी में जोड़कर मौजूदा आयकर स्लैब के अनुसार कर की देनदारी बनती है। 
     
  3. गोल्ड सेविंग्स फंड: इसे फंड्स ऑफ फंड्स के नाम से भी जाना जाता है। ये ऐसे म्युचुअल फंड्स हैं जिन्हें गोल्ड ईटीएफ और दूसरे शॉर्ट टर्म फंड्स में निवेश किया जाता है। आप इसमें सिस्टमेटिक इनवेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) के जरिए भी निवेश कर सकते हैं। इसके तहत अगर आपके पास डिमैट अकाउंट नहीं भी है तो नियमित अंतराल पर 1,000 रुपए जितनी कम रकम भी इसमें जमा कर सकते हैं। इसमें एक वर्ष के बाद ही आपको दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर पर कराधान लाभ मिलेगा।
  4. स्वर्ण बांड: निवेशकों को सोने की कीमतों में तेजी का फायदा देने को लिए सरकार ने यह योजना शुरू की थी। चूंकि ये भारत सरकार के बांड हैं जो कि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए जाते हैं, इसलिए वे एक सार्वभौम गारंटी के साथ आते हैं। परिपक्वता अवधि पर राशि निकालने पर कोई कर नहीं देना पड़ता है। लेकिन, परिपक्वता अवधि से पहले रिडीम गई की राशि पर पूंजीगत लाभ कर का प्रावधान है।
इसलिए, अगली बार जब भी सोने के बारे में सोचें, तो केवल अपनी संपत्ति बढ़ाने के बारे में मत सोचिये, इसकी बचत के बारे में भी सोचिएगा।