Published: 17 अगस्त 2018

केरल से सोने के गहनों के डिज़ाइन

सोने के लिए केरलवासियों का बेजोड़ प्यार किसी परिचय का मोहताज नहीं। चाहे धार्मिक समारोह हो, त्यौहार हो, या शादी-ब्याह, सोने के गहने हर ख़ास मौके का एक अभिन्न अंग होते हैं।

‘देवों का निज देश’ कहे जाने वाले केरल में असाधारण कारीगरी का परिचय देने वाले पारम्परिक सोने के गहनों के उत्कृष्ट डिज़ाइन पाये जाते हैं। और सोने के गहनों के कई आधुनिक डिज़ाइन ने उन पारम्परिक शैलियों को एक नया रूप दिया है।

आइए एक नज़र डालते हैं केरल के कुछ उत्कृष्ट सोने के गहनों के डिज़ाइन पर:

  • कासुमाला

    ‘कासु’ यानि धन और ‘माला’ यानि हार। केरल की हिंदु महिलाओं को कासुमाला बहुत प्रिय है। इसमें सोने के सिक्कों को जोड़कर हार का रूप दिया जाता है। सिक्कों पर देवी लक्ष्मी जैसी कोई आकृति बनी होती है। हिंदू मान्यता के अनुसार, लक्ष्मी जी को धन और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।

  • करीमणि माला

    उत्तर भारत के मंगलसूत्र, जैसी दिखने वाली, करीमणि माला काले और सुनहरि मोतियों से बनी होती है और विवाहित महिलाओं द्वारा पहनी जाती है।

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  • मुल्लमोट्टू माला

    मुल्लमोट्टू माला या ‘चमेली की कली की माला’ केरल की दुल्हन की वेशभूषा का एक और महत्त्वपूर्ण गहना है। यह सोने से बनी चमेली की कलियों की गुँथी हुई माला जैसी होती है। इसमें मीनाकरी का खूबसूरत काम भी हो सकता है।

    सौजन्य: मालाबार गोल्ड
  • मंगा माला

    केरल की दुल्हनों का एक और प्रिय स्वर्णाभूषण है मंगा माला। यह पैज़ले के आकार की कृतियों से बना सोने का हार होता है।

    सौजन्य: एस वी टी एम ज्वेल्स
    सौजन्य: अन्नाई ज्वेलर्स
  • पाठकम

    पाठकम पूरी तरह से सोने से बना होता है। इस हार में बहुत बड़ा, गोल चांद के आकार का पेंडेंट होता है। यह कई डिज़ाइन में उपलब्ध होता है – वैरा मिन्नी, चंद्र मिन्नी, शकुंतला, मेनका, आदि। आमतौर पर, केरल की महिला के गहनों में पहली परत पाठकम की होती है।

  • कोलुसु

    आमतौर पर पाजेब कहे जाने वाले इस गहने, कोलुसु, को केरल की महिलाएँ एड़ी पर पहनती हैं। यह सभी ख़ास मौकों और त्यौहारों पर पहना जाता है।

    सौजन्य: मालाबार गोल्ड
    सौजन्य: मालाबार गोल्ड
  • जिमिक्की

    जिमिक्की सोने का पानी चढ़ा एक गहना होता है जिसमें छोटी-छोटी झुमकियाँ लटकती रहती हैं। केरल की दुल्हनों में इस तरह की कान की बालियाँ बहुत प्रचलित हैं।

  • पूठाली

    पूठाली बारीकी से नक्काशा गया गले का एक हार होता है। यह प्रकृति से प्रेरित होता है और इसमें सोने से बने फूल और पत्ते के आकार के टुकड़े होते हैं।

  • अष्टलक्ष्मी बाला

    सोने से बने ये कंगन देवी लक्ष्मी के आठ अवतारों का प्रतीक होते हैं। माना जाता है कि अष्टलक्ष्मी बाला पहनने वाले को स्वास्थ्य और समृद्धि मिलती है।

    सौजन्य: कोल्लम सुप्रीम ऑनलाइन

केरल के स्वर्णाभूषण ना सिर्फ श्रेष्ठ कारीगरी दर्शाते हैं, बल्कि ये इस राज्य की जीवंत और शानदार सांस्कृतिक विरासत की एक झलक भी प्रस्तुत करते हैं।

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