Published: 27 सितंबर 2017

स्वर्ण की खोज

क्या स्वर्ण, खोज और प्रयोग की जाने वाले पहली धातु हो सकता है ? यह एक ऐसा प्रश्न है, जो बार-बार सामने आता है, किन्तु इसका कभी संतोषजनक उत्तर नहीं मिला है.

संभव है कि आरम्भ में स्वर्ण निष्कर्षण और संसाधन उसी स्थान पर किया जाता था जहां उसकी खोज होती थी; और बाद के समय में इसे अन्य स्थानों पर पहुंचाया जाता रहा हो. चाहे जहां भी मिले, स्वर्ण एक सामान ही रहता है. इसलिए पुरातत्वविदों और मानवविज्ञानियों द्वारा खोजी गयी कलाकृतियों के आधार पर स्वर्ण के उद्गम का पता करना कठिन है.

आज ज्ञात कुछ सर्वाधिक प्रसिद्ध कलाकृतियों पर गौर करें : ट्रैंडहोम, डेनमार्क में 1902 में मिला सूर्य रथ 1400 ईसा पूर्व का है, जर्मनी में हॉल के निकट नेब्रा के 3,200 वर्ष पुराने दिव्य चक्र के बारे में मान्यता है कि उसकी उत्पत्ति सूर्य रथ जैसी संस्कृति से ही हुयी थी. कांस्य युग में लोगों की मान्यता थी कि सूर्य देवता मृतात्मा के भी देवता थे, जो पूर्व में उदित होकर दिन के अंत में धरती के नीचे लुप्त हो जाते थे, और अगली सुबह पुनर्जीवित हो जाते थे.

अनेक दशकों तक अधिकाँश पुरातात्विक विशेषज्ञ यह मानते रहे थे कि प्राचीनतम स्वर्ण कलाकृतियों का उद्गम स्थल प्राचीन मिस्र या मेसोपोटामिया (इराक का अधिकाँश भूभाग, और ईरान, सीरिया तथा तुर्की का कुछ हिस्सा) था, जिनका इतिहास ईसा पूर्व चौथी शताब्दी का है. किन्तु इधर हाल में, बुल्गारिया में वारना स्थित ताम्र युग के एक मकबरे में एक खोज – 13 पौंड वजन की वस्तुओं सहित - के तिथि निर्धारण से पता चला कि वे ईसा पूर्व पांचवीं सहस्राब्दी, ईसा पूर्व लगभग 4400-3900 के थे.

2005 में, बुल्गेरियाई विज्ञान अकादमी के वैज्ञानिकों को, गाद स्वर्ण भण्डार का अध्ययन करते समय, बालू में अंगूठियाँ, श्रृखलाबद्ध हार और पिघले हुए छर्रे भी मिले थे. इन वस्तुओं का तिथि निर्धारण किया जा रहा है और अस्थायी तौर पर उनका काल ईसा पूर्व 5वीं सहस्राब्दी आंका गया है; इस तरह वे प्राचीन मिस्र में प्राप्त वस्तुओं से भी प्राचीनतम स्वर्ण कलाकृतियाँ मानी जा सकतीं हैं.

कांस्य युग (लगभग 3000 से 1200 ईसा पूर्व) की स्वर्ण कलाकृतियाँ आयरलैंड में मिली हैं; इनमे स्वर्ण के पतले पत्तर से बने नक्काशीदार अर्धचन्द्राकार पट्टे सम्मिलित हैं, जिन्‍हें लुनुली कहा जाता है. ये वस्तुएं 4000 वर्ष से भी अधिक पुरानी हैं. हंगरी में 1897 में जब एक मकबरे को खोला गया तो उसमे स्वर्ण की चादर से पूरी तरह ढंका कंकाल मिला था, जिसे शक्ति और उर्वरकता का प्रतीक माने जाने वाले सिंहों और वृषभों से अलंकृत किया गया था.

या हो सकता है, जैसा की मध्य अमेरिका के भारतीय (इन्कास) लोगों की मान्यता थी, स्वर्ण सूर्य देवता के आंसू से बना है.