Published: 10 अक्टूबर 2018

हॉलमार्किंग के बारे में आप सभी को पता होना चाहिए

सोने के आभूषण हमारे विशेष अवसरों की शोभा बढ़ाते हैं और एक-दूसरे को दिए जा सकने वाले सबसे मूल्यवान उपहारों में गिने जाते हैं। लेकिन, आप सोना खरीदते वक्‍त इसकी शुद्धता को कैसे सुनिश्चित करेंगे? इसका सरल-सज्ञ उत्तर तो यह है कि आपको यह देखना चाहिए कि आभूषण हॉलमार्क है या नहीं।

लेकिन हॉलमार्किंग है क्या?

हॉलमार्किंग आभूषण में सोने की आनुपातिक सामग्री का बिल्‍कुल सटीक निर्धारण है। मूल रूप से, हॉलमार्किंग एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें किसी सोना परखने वाली प्रमाणित संस्था द्वारा सोने की शुद्धता की पुष्टि की जाती है।

हॉलमार्किंग कौन करता है?

भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) भारत सरकार की हॉलमार्किंग योजना को संचालित करने वाली एकमात्र एजेंसी है। बीआईएस हॉलमार्किंग योजना स्वैच्छिक प्रकृति की है और बीआईएस अधिनियम, नियमों और विनियमों के तहत संचालित होती है। इस योजना के तहत, बीआईएस-प्रमाणित जौहरी बीआईएस लाइसेंस-प्राप्त परख और हॉलमार्किंग केंद्रों में से किसी से भी अपने आभूषणों को हॉलमार्क करा सकते हैं।

इसलिए, हॉलमार्क एक आधिकारिक चिह्न है, जिसे बीआईएस बहुमूल्य धात्विक सामानों की शुद्धता या खरेपन की गारंटी के रूप में उन पर लगाता है।

हॉलमार्क वाले आभूषण कैसे दिखते हैं?

आमतौर पर सोने के सामान में अंदर की तरफ हॉलमार्क का निशान होता है, इसके चार घटक होते हैं :

  1. बीआईएस लोगो

    यह भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) का कॉरपोरेट लोगो है। यह प्रमाणित करता है कि आभूषण बीआईएस द्वारा निर्धारित मानकों के अनुरूप है।.

  2. धातु की शुद्धता का ग्रेड और खरापन

    यह कोड आपकी खरीदारी की शुद्धता को दिखाता है।.

    उदाहरण के लिए, 22K916 का मतलब है 22 कैरेट सोना।

                         18K750 का मतलब है 18 कैरेट सोना।

                         14K585 का मतलब है 14 कैरेट सोना।.

  3. परख-क्रिया केंद्र की पहचान का चिह्न

    यह एएचसी को दर्शाता है, जहाँ सामान को परखा और हॉलमार्क किया गया है।

  4. जौहरी की पहचान का चिह्न

    यह लोगो या कोड बीआईएस-प्रमाणित जौहरी का है जो आभूषणों का विक्रेता है।

Certified BIS Gold Hallmark

हॉलमार्किंग क्यों जरूरी है?

  1. शुद्धता परीक्षण की चरणबद्ध प्रक्रिया से गुजरने के कारण सोने का हॉलमार्क किया हुआ सामान नकली या कम कैरेट का नहीं हो सकता।
  2. यदि आप कभी अपनी हॉलमार्क वाले सोने के आभूषण बेचने के बारे में सोचते हैं, तो हॉलमार्क ही तय करेगा कि आपको उसकी सही कीमत मिले। ऐसा इसलिए है, क्योंकि हॉलमार्क वाले आभूषण इसकी गुणवत्ता को लेकर खरीदार को आश्वस्त करते हैं। अपने सोने के आभूषण बेचने के बारे में अधिक जानने के लिए, यहां क्लिक करें।
  3. बीआईएस-प्रमाणित जौहरी सतत जांच के दायरे में होता है। कारण यह है कि बीआईएस जौहरी द्वारा बेचे गए सोने की गुणवत्ता की जांच करने के लिए कभी भी उसके परिसर में जांच कर सकता है। यदि धातु की शुद्धता में कोई गड़बड़ी होती है, तो जौहरी का लाइसेंस निरस्त हो जाएगा। हॉउकिश मॉनिटरिंग का मतलब है कि कम गुणवत्ता वाला सोना बेचकर बीआईएस-प्रमाणित जौहरी कोई भी जोखिम नहीं उठाना चाहते हैं।
  4. हॉलमार्किंग के बिना, यह बताना असंभव है कि सोना कितना शुद्ध है, कम-से-कम अप्रशिक्षित आंखों से तो बिल्‍कुल ही नहीं।

संबद्ध: आमतौर पर होने वाले सोने के घोटालों के बारे में आपको पता होना चाहिए

क्या सोने की हॉलमार्किंग अनिवार्य है?

हालांकि भारत सरकार हॉलमार्किंग को अनिवार्य बनाने की दिशा में काम कर रही है, लेकिन अभी यह एक स्वैच्छिक योजना ही है।.

जनवरी 2017 में, सरकार ने हॉलमार्किंग मानकों को संशोधित किया, जिसमें सिर्फ 14 कैरेट, 18 कैरेट और 22 कैरेट के ग्रेड में ही सोने के आभूषणों को बेचने की अनुमति दी गई और अप्रैल 2017 में, इसने मसौदा नियम जारी किए, जिसमें जौहरियों का बीआईएस के यहां पंजीकरण अनिवार्य होने का प्रस्ताव था। और जून में, अर्ध-शुद्ध सोने को सिर्फ वैध लाइसेंस से ही रिफाइनरियों द्वारा आयात किया जा सकता है।

ये सभी कठोर उपाय बताते हैं कि अनिवार्य हॉलमार्किंग को जल्द ही देश में लागू किया जा सकता है।.

अब, जबकि आप हॉलमार्किंग से जुड़े हुए सभी पहलुओं को समझ गए हैं, तो अब आप जानते हैं कि सिर्फ हॉलमार्क वाले सोने के आभूषण खरीदने की सलाह क्यों दी जाती है। इसलिए, भविष्‍य में प्रामाणिक खरीद और सुरक्षा पक्‍की करने के लिए, तय करें कि आप आगे से सोने के आभूषण सामान खरीदते समय हॉलमार्क का चिन्‍ह जरूर देखेंगे।