Published: 31 अगस्त 2017

स्वर्ण में निवेश के 5 फायदे

निवेश संबंधी ठोस फैसले से दीर्घकालीन आर्थिक लक्ष्यों को पूरा करने में मदद मिलती है. प्रमाणित आर्थिक सलाहकार और संपदा आबंटन में मार्गदर्शन करने वाले लोग आम तौर पर एक से अधिक पोर्टफोलियो में धन लगाने की सलाह देते हैं, क्योंकि ऐसा करने से किसी एक संपदा श्रेणी में घाटा होने पर दूसरी श्रेणी से उसकी भरपाई हो जाती है. पिछले दशकों में विविध साधनों में स्वर्ण में निवेश सबसे बढ़िया साबित हुआ है.

नीचे पांच बिन्दुओं पर गौर किया गया है जिनसे पता चलता है कि बतौर निवेश स्वर्ण की लोकप्रियता क्यों है और आर्थिक हानि से बचाव का यह बढ़िया विकल्प क्यों है.

 
  1. स्वर्ण मुद्रास्फीति से रक्षा करता है

    लम्बे समय में स्वर्ण मुद्रास्फीति के प्रभाव को कम करता है. इसे 2013 के उदाहरण से समझा जा सकता है जब प्रति 10 ग्राम स्वर्ण का मूल्य 33,000 रुपये की ऊंचाई और न्यूनतम 27,000 रूपये के बीच था. पिछले पांच वर्षों में स्वर्ण का मूल्य दोगुना और एक दसक में चौगुना हो गया है.

    भारत जैसे देश में जहां बचत के हरेक साधन पर प्रतिलाभ सुनिश्चित नहीं है, मुद्रास्फीति की दर ब्याज दर से अधिक होने पर स्वर्ण का प्रदर्शन अच्छा रहा है. इसी प्रकार, विगत दस वर्षों में स्वर्ण का वार्षिक प्रतिलाभ मुद्रास्फीति की तुलना में काफी ज्यादा रहा है. इसका अर्थ यही है कि स्वर्ण के माध्यम से लोगों को वास्तविक दर पर प्रतिलाभ उपलब्‍ध हुआ है.

  2. स्वर्ण पर निवेशकों को जोखिम-समायोजित बढ़िया प्रतिलाभ मिलता है

    अगर संपदा आबंटन सही हो तो स्वर्ण इक्विटी में बांड के प्रतिफल या मूल्य टूटने से उत्पन्न गिरावट के जोखिम का समायोजन करता है. ऋण और इक्विटी के साथ न्यून ऋणात्मक सह-सम्बन्ध में स्वर्ण की सहभागिता कम होती है. अर्थात, अलग-अलग समय में इन तीनों संपदा श्रेणी का उतार-चढ़ाव एक समान नहीं होता है. इस तरह, उदाहरण के लिए, अगर इक्विटी में गिरवाट होती है तो उधर स्वर्ण अच्छा प्रदर्शन करता है और इस प्रकार आप जोखिम से बच जाते हैं.

  3. स्वर्ण देश की मुद्रा में हलचल या मूल्य-क्षरण का प्रभाव झेलने की क्षमता रखता है

    अगर किसी अर्थव्यवस्था की स्थानीय मुद्रा में बृहत् आर्थिक घटकों के कारण बड़ी गिरावट आती है, तो उस स्थिति में निवेशकों के लिए स्वर्ण समयोपयोगी साधन के रूप में काम आता है. 2013-2014 में, जब भारतीय मुद्रा काफी दबाव में थी, तब भी सभी प्रमुख वैश्विक मुद्राओं ने रूपए के सम्बन्ध में स्वर्ण के मूल्य का समर्थन किया था.

  4. संकट के समय काम आता है

    अनेक निवेशकर्ता आर्थिक परेशानी के समय स्वर्ण का उपयोग करते हैं. खुद भारत सरकार ने भी 1990 के दशक की शुरुआत में ऋण भुगतान संतुलन कायम रखने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पास राष्ट्रीय स्वर्ण भण्डार गिरवी रखा था. पारिवारिक जीवन में भी लोग आर्थिक संकट के समय स्वर्ण बेचते या गिरवी रखते हैं. कठिनाई में यह एक सहारा का काम करता है.

  5. स्वर्ण के माध्यम से जोखिम में कमी और धन वृद्धि प्राप्त की जा सकती है

    निवेश के रूप में स्वर्ण से जोखिम में कमी और धन की वृद्धि का दोहरा लाभ मिलता है. अगर कोई आर्थिक संकट या भौगोलिक तनाव का वातावरण नहीं हो, तो भी लम्बे समय में इस मूल्यवान धातु से बढ़िया प्रतिलाभ मिल सकता है. यह स्वर्ण के पिछले प्रदर्शन के रिकॉर्ड से प्रमाणित हो चुका है. किसी आर्थिक या राजनीतिक आघात की स्थिति में यह इक्विटी से होने वाली पूंजीगत हानि के विरुद्ध निवेश को सुरक्षा कवच प्रदान करता है.